एमपी की पंचायतों में नहीं हुए क्यू कोड डेवलप, डिजिटल पेमेंट पर एक्शन की रफ्तार धीमी
भोपाल। प्रदेश की 23000 पंचायत में डिजिटल पेमेंट को बढ़ावा देने के केंद्र सरकार की फैसले पर पंचायत और ग्रामीण विकास की चाल धीमी है केंद्र सरकार ने इस मामले में 15 अगस्त तक सभी पंचायत से क्यूआर कोड डेवलप किए जाने और उसके माध्यम से भुगतान करने की स्टेटस रिपोर्ट मांगी थी लेकिन मध्य प्रदेश में सरकार की ओर से इसको लेकर कोई पहल नहीं की गई है इस कारण से प्रदेश की पंचायत में अपेक्षा के अनुरूप डिजिटल पेमेंट की व्यवस्था शुरू नहीं हो पाई है हालांकि इस मामले में पंचायत और ग्रामीण विकास के अधिकारियों का कहना है कि इसको लेकर प्रक्रिया शुरू की गई है।
केंद्रीय पंचायतीराज मंत्रालय ने सभी राज्यों को पत्र लिखकर 15 अगस्त, 2023 तक राज्य की प्रत्येक पंचायत में डिजिटल भुगतान, खास तौर पर राजस्व संग्रह शुरू करने और इसे समारोह के रूप में घोषित करने के लिए कहा था। पंचायतीराज मंत्रालय के संयुक्त सचिव आलोक प्रेम नागर की ओर से सभी राज्यों को इस संबंध में पत्र लिखा गया था। इसमें कहा गया है कि अपने राज्य की सभी ग्राम पंचायतों, ब्लाक पंचायतों और जिला पंचायतों में यूपीआइ से भुगतान की सुविधा शुरू कराएं।
सेवा प्रदाताओं के नाम भी सुझाए थे केंद्र सरकार ने
डिजिटल पेमेंट को बढ़ावा देने के लिए सरकार की ओर से डिजिटल भुगतान से जुड़े सेवा प्रदाताओं के नाम भी उपलब्ध कराए थे। इसमें कहा गया कि इनके साथ बैठक कर नियम और निर्देशों के अनुसार चयन कर लें। इसके बाद पंचायत भवनों में क्यूआर कोड लगवा दिए जाएं। ग्रामीणों के जनधन खातों को भी यूपीआइ से लिंक कराया जाए, ताकि वह डिजिटल भुगतान कर सकें लेकिन एमपी में इस पर अभी काफी विलंब की स्थिति है।
जेम पोर्टल से होने वाले सामग्री के लेन देन में भी डिजिटल पेमेंट
केंद्र सरकार द्वारा लिए गए फैसले में पंचायतों में जेम पोर्टल के माध्यम से होने वाली लेनदेन की प्रक्रिया में डिजिटल पेमेंट को बढ़ावा देने के लिए कहा गया है। इसके साथ ही पंचायत को निर्देश दिए गए हैं कि वह यूपीआई ट्रांजेक्शन वाले डिजिटल पेमेंट को बढ़ावा देने के लिए क्यूआर कोड विकसित करें और उसके माध्यम से पंचायत द्वारा वसूले जाने टैक्स का भुगतान कराएं। हालांकि मध्य प्रदेश में पंचायत और ग्रामीण विकास विभाग अभी तक इसको लेकर कोई विशेष पहल नहीं कर पाया है। पंचायतों में इसको लेकर 15 अगस्त तक क्रियान्वयन रिपोर्ट मांगने के केंद्र सरकार के फैसले पर भी विभाग गंभीर नहीं है। इसी कारण जो पंचायतें सक्षम हैं, उन्हें छोड़कर बाकी पंचायतों में इसको लेकर प्रक्रिया तेज नहीं हुई है।