छत्तीसगढ

लोक कलाकार अमृता बारले पंचतत्व में विलीन : 5वीं तक की पढ़ाई कर अपनी कला से देश-विदेश में बनाई पहचान, कई बच्चों को भी बनाया कलाकार

दुर्ग. छत्तीसगढ़ के प्रसिद्ध लोक कलाकार पंडवानी और भरथरी गायिका अमृता बारले के निधन के बाद आज उनका पार्थिव शरीर पंचतत्व में विलीन कर दिया गया है. उन्हें अंतिम श्रद्धांजलि देने उनके आशीष नगर रिसाली निवास पर कला और राजनीति जगत के लोगों की भीड़ उमड़ पड़ी. सभी ने नम आंखों से उन्हें विदाई दी. अमृता बारले ने 65 साल की उम्र में दुनिया को अलविदा कह दिया. लंबे समय से बीमार चल रही अमृता को भिलाई के शंकराचार्य मेडिकल कॉलेज हॉस्पिटल में भर्ती कराया गया

पंथी और भरथरी गायन की विधा को देश, विदेश तक पहुंचाने वाली अमृता बारले ने कई बच्चों को इस कला को सिखाया, जबकि वे स्वयं ही 5वीं तक स्कूल में पढ़ी. बाद में प्राइवेट परीक्षा देकर 8वीं पास कर खैरागढ़ विश्विद्यालय से लोक गायन में डिप्लोमा की शिक्षा ली, लेकिन तब तक अमृता बारले पूरे प्रदेश में एक प्रसिद्ध लोक कलाकार बन चुकी थी. मिनीमाता राज्य अलंकरण सम्मान और राष्ट्रपति पुरस्कार से सम्मानित अमृता बारले के अंतिम दर्शन करने पंथी नृत्य के लोक कलाकार पदमश्री आरएस बारले, पद्मश्री उषा बारले, एक्टर उर्वसी साहू, दूरदर्शन के कई कलाकार उनके निवास पहुंचे.

पंथी गीत के साथ दी गई अंतिम विदाई

इसके अलावा राजनीति जगत से सांसद विजय बघेल, महापौर निर्मल कोसरे, भाजपा प्रत्याशी ललित चन्द्राकर, गृह मंत्री के प्रतिनिधि के रूप में जितेंद्र साहू, अहिवारा बीजेपी प्रत्याशी डोमनलाल कोरसेवाड़ा, पूर्व विधायक डॉ. दया राम साहू ने अमृता बारले को श्रद्धांजलि दी. लोक कलाकार अमृता की अंतिम यात्रा में उन्हें पंथी गीत के साथ अंतिम विदाई दी गई. दुर्ग लोकसभा सांसद विजय बघेल ने इसे छत्तीसगढ़ के लोक कला जगत के लिए एक बड़ी छती बताया. सांसद बघेल ने कहा कि, छत्तीसगढ़ में ऐसे वीरले कलाकार होते हैं, जो अपना जीवन कला एवं संगीत के लिए समर्पित कर देते हैं. वहीं पद्मश्री से सम्मानित नृत्य लोक कलाकार डॉ. राधेश्याम बारले ने कहा कि, कलाकार भले ही चले जाते हैं, लेकिन उनकी कला और उनके योगदान को जीवन भर याद रखा जाता है.

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