छत्तीसगढ

बीजापुर कलेक्टर के इस पहल से बदल जाएगी गांव की तस्वीर, अंधेरे में डूबे गोरना में पढ़ाई होगी डिजिटल! एक छत के नीचे स्कूल, साक्षरता केंद्र के साथ ग्रामीणों का मनोरंजन भी…

बीजापुर कलेक्टर के इस पहल से बदल जाएगी गांव की तस्वीर, अंधेरे में डूबे गोरना में पढ़ाई होगी डिजिटल! एक छत के नीचे स्कूल, साक्षरता केंद्र के साथ ग्रामीणों का मनोरंजन भी…

सम्यक नाहटा, बीजापुर। डेढ़ दशक से ज्यादा समय से बन्द स्कूलों को पुनः खोलने के बाद अब उन्हें बेहतर बनाने के लिए बीजापुर कलेक्टर राजेन्द्र कटारा अभिनव पहल करते हुए

शिक्षा के साथ-साथ एक सांस्कृतिक केंद्र के तौर पर भी स्थापित कर रहे हैं. जिले का गोरना गांव इसकी मिसाल बनने जा रहा है. जहां पढ़ाई के साथ-साथ मनोरंजन और कलात्मक अभिरुचियों को प्रोत्साहित किया जाएगा.

लल्लूराम डॉट कॉम से खास बातचीत में कलेक्टर राजेन्द्र कटारा का कहना था कि बतौर कलेक्टर जिले के विकास में पुनः संचालित स्कूलों को मॉडल परिकल्पित करने की सोच के साथ कार्ययोजना बनाई गई है, जो अपने आप में शिक्षा के क्षेत्र में मिसाल है.

गोरना समेत पुनः संचालित दर्जनों स्कूलों में जहां बिजली का नामोनिशान नहीं है. सोलर प्लेट्स के जरिये स्कूलों को पावर सप्लाई होगी, फिलहाल, गोरना में पंखा-लाइट चालू हो चुके है.

बिजली विहीन गांव में डिजिटल एजुकेशन

यह किसी सुखद आश्चर्य से कम नही होगा कि बिजली विहीन इलाकों में कलेक्टर कटारा की सोच से डिजिटल पढ़ाई मुक्कममल होने जा रही है.

कलेक्टर कटारा के मुताबिक, सोलर से पावर सप्लाई के बाद डिजिटल एजुकेशन के तहत टेलीविजन लगाए जा रहे है, जहाँ नेटवर्क नहीं होंगे, वहाँ भी कंटेंट पेन ड्राइव, टीचर के मोबाइल फार्मेट में उपलब्ध रहेगा.

अंग्रेजी-हिंदी-गोंड़ी में पढ़ाई

कलेक्टर कटारा के मुताबिक, बोली बहुल इलाकों में बच्चों में भाषायी संवाद के अंतर को दूर करने अंग्रेजी, हिंदी के साथ गोंडी फार्मेट में विजुअल माध्यम में पढ़ाई कराई जाएगी, इसका फायदा शिक्षा दूतों को भी मिलेगा.

दिन में स्कूल, रात में साक्षरता केंद्र

एक छत के नीचे ही बच्चों के स्कूल के अलावा गांव के निरक्षर वयस्कों को आखर ज्ञान देने साक्षरता केंद्र का संचालन भी किया जाएगा. इतना ही नहीं ग्रामीणों को टेलीविजन के जरिये मनोरंजन का अवसर भी मिलेगा. यह एक कल्चर सेंटर के रूप में काम करेगा.

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