छत्तीसगढ

शहर फिर से हुआ नुक्कड़मय डोर टू डोर कचरा संग्रहण हुआ धराशाई हर घर बना नुक्कड़…..

शहर फिर से हुआ नुक्कड़मय डोर टू डोर कचरा संग्रहण हुआ धराशाई हर घर बना नुक्कड़

जगदलपुर : भारतीय जनता पार्टी के पार्षद नरसिंह राव के द्वारा प्रेस को जारी बयान में बताया कि नगर निगम जगदलपुर में विगत 3 महीनों से डोर टू डोर कचरा संग्रहण का कार्य धराशाई हो गया है।

लोग हलकान व परेशान हैं वह समझ नहीं पा रहे हैं कि अब कचरा कहां फेके और किसको दे क्योंकि विगत 10 वर्षों से शहर को नुक्कड़मुक्त कर कचरा मुक्त करने का जो अभियान चालू किया गया था वह डोर टू डोर घरेलू कचरा संग्रहण के माध्यम से सफल हुआ था।

इस व्यवस्था को बनाने में काफी मेहनत और काफी समय लगा था किंतु वर्तमान नगर निगम में कांग्रेस का शासन है उनकी अदूरदर्शिता व बिना प्लानिंग के निर्णय के कारण ऑटो वाहन प्रत्येक घर तक पहुंचने में 5 से 7 दिन लगा रहे हैं

जिसके कारण हर घर में नुक्कड़ की स्थिति पैदा हो गई है। लोग कचरा निष्पादन में असमर्थ हैं इतने दिनों तक कचरा घर में रखकर वाहन का इंतजार करने की वजह से कचरे से बदबू फैल रहा है

वह उस पर कीड़े लग रहे हैं। शुरू में सूखा वह गीला कचरा निगम द्वारा मांगा जाता रहा है। अब लोगों को जब इसकी आदत लग गई तब निगम द्वारा तुगलकी फरमान जारी किया जाता है कि पांच से सात प्रकार के कचरे को अलग अलग कर दिया जाए जिसके लिए जनता के पास ना तो समय है और ना ही व्यवस्थाएं हैं कि वह इनको अलग करें।

स्वच्छता दीदियों द्वारा वार्ड के प्रत्येक घर के सामने कचरा को अलग किया जाता है जिसके कारण एक घर में काफी समय लगता है और उस घर के सामने काफी गंदगी फैल जाती है जिसके कारण आए दिन विवाद की स्थिति निर्मित होती है एवं वाहन को भी प्रत्येक घर में काफी समय लगने के कारण एक घर में 5 से 7 दिन में पहुंचती है।

सूखा कचरा को SLRM सेंटर में ले लिया जाता है और उसकी बिक्री कर धन प्राप्त किया जाता है वही गीला कचरा को सड़न और बदबूदार हो जाने के कारण उसे लेने से इनकार किया जाता रहा है

ऐसे में उस कचरा के निष्पादन के लिए भी कोई कारगर व्यवस्था निगम द्वारा नहीं किया गया है और स्वच्छता दीदियों के ऊपर निष्पादन की व्यवस्था हेतु दबाव डाला जाता रहा है

यदि व्यवस्था लागू करना था तो पर्याप्त वाहन एवं अतिरिक्त कर्मचारियों के साथ निगम को मैदान में उतरते हुए प्रत्येक वार्ड में कम से कम तीन तीन गाड़ियों की व्यवस्था की जानी चाहिए थी और सर्वप्रथम इस व्यवस्था को एक वार्ड में प्रायोगिक रूप से लागू करना था ताकि आगे इन की खामियों को दूर किया जा सके और योजना सफल होने पर संपूर्ण शहर में लागू किया जाना चाहिए था।

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