छत्तीसगढ

आइए मनाएँ…. उत्सव मेहनतकशों के मान का, अपनी समृद्ध, सांस्कृतिक विरासत के सम्मान का, आज 1 मई को, मजदूर दिवस के अवसर पर ‘’बोरे बासी’’ ज़रूर खायें….

आइए मनाएँ…. उत्सव मेहनतकशों के मान का, अपनी समृद्ध, सांस्कृतिक विरासत के सम्मान का, आज 1 मई को, मजदूर दिवस के अवसर पर ‘’बोरे बासी’’ ज़रूर खायें….

जगदलपुर : भारत में मजदूर दिवस मनाने का उद्देश्य श्रमिकों और मजदूरों की उपलब्धियों को स्वीकार करना और उन्हें प्रेरित करना – राजीव

ईविप्रा उपाध्यक्ष व जिलाध्यक्ष राजीव शर्मा ने आज “1 मई को श्रमिक दिवस के अवसर पर ‘बोरे-बासी’ खाकर श्रम का सम्मान बढ़ाने और अपनी गौरवशाली संस्कृति पर गर्व करने की अपील की है इस श्रमिक दिवस पर बोरे-बासी खाकर श्रम का सम्मान करें…अपनी समृद्ध संस्कृति पर अभिमान करें….

मई दिवस श्रमिक वर्ग द्वारा किए गए अमूल्य योगदान को पहचानने और उसकी सराहना करने का दिन – शर्मा

मजदूर दिवस का प्राथमिक उद्देश्य श्रमिक वर्ग की कड़ी मेहनत और समर्पण को स्वीकार करना, उनके अधिकारों के बारे में जागरूकता पैदा करना और उन्हें शोषण से बचाना….

राजीव शर्मा ने बस्तर सहित प्रदेश के मजदूर भाईयों को दी मई दिवस की हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएं….

इंद्रावती विकास प्राधिकरण उपाध्यक्ष व जिलाध्यक्ष राजीव शर्मा आज मजदूर दिवस पर विभिन्न कार्यक्रमों में शामिल होने व श्रमिक दिवस पर बोरे बासी खाकर मनाने की अपील के साथ इस खास अवसर की हार्दिक बधाई और शुभकामनाएं दी।
उन्होंने आगे कहा कि “आइए मनाएँ,

उत्सव मेहनतकशों के मान का, अपनी समृद्ध ,सांस्कृतिक विरासत के सम्मान का आज 1 मई को मजदूर दिवस के अवसर पर ‘बोरे बासी’ ज़रूर खायें, आज 1 मई है जिसे मई दिवस या श्रमिक दिवस के रूप में जाना जाता है, 1 मई को श्रमिक वर्ग द्वारा किए गए अमूल्य योगदान को पहचानने और उसकी सराहना करने के लिए मनाया जाता है।

वहीं अगर बोरे बासी के बारे में बात करे, तो बोरे बासी छतीसगढ़ का प्रमुख और प्रचलित व्यंजन है। बोरे बासी का मतलब होता है रात के पके चावल को रात को भिगो कर या सुबह भिगो कर खाना या सुबह के पके चावल को दोपहर में खाना। इसमें स्वादानुसार नमक मिलाया जाता है।

फिर सब्जी, प्याज, आचार, पापड़, बिजौरी इत्यादि के साथ खाया जाता है। कई बार लोग केवल नमक और प्याज से बासी खाते हैं। बोरे का अर्थ है सुबह के चावल को पानी में भिगोए रखना और बासी का मतलब है रात के बचे चावल को पानी में भिगोकर रात भर रखना उसे कहते हैं बासी इसका अर्थ हो जाता है बोरे बासी।

गर्मी के दिनों में बोरे बासी शरीर को ठंडा रखता है। पाचन शक्ति बढ़ाता है। त्वचा की कोमलता और वजन संतुलित करने में भी यह रामबाण है। “1 मई को श्रमिक दिवस के अवसर पर ‘बोरे-बासी’ खा कर श्रम का सम्मान बढ़ाने और अपनी गौरवशाली संस्कृति पर गर्व करने की अपील की है। इस श्रमिक दिवस पर आइए,बोरे-बासी खा कर श्रम का सम्मान करें…अपनी समृद्ध संस्कृति पर अभिमान करें।

उन्होंने आगे कहा कि मजदूर दिवस का प्राथमिक उद्देश्य श्रमिक वर्ग की कड़ी मेहनत और समर्पण को स्वीकार करना, उनके अधिकारों के बारे में जागरूकता पैदा करना और उन्हें शोषण से बचाना है।

यह दिन विश्व स्तर पर मनाया जाता है, और कुछ देशों में इसे श्रमिक दिवस के रूप में जाना जाता है।मजदूर वर्ग की उपलब्धियों और योगदान को मान्यता देने और उनका सम्मान करने के लिए मजदूर दिवस मनाया जाता है। यह दुनिया भर के श्रमिकों की कड़ी मेहनत, समर्पण और प्रतिबद्धता का जश्न मनाने का दिन है जिन्होंने अपने-अपने समाज में महत्वपूर्ण योगदान दिया है।

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