विदेश

पाक में महिला की पोशाक पर बवाल, लिंचिंग करने दौड़ी भीड़; नामी ब्रांड ने अपने ही कपड़े ना पहनने की दी सलाह…

पाकिस्तान में लोगों पर मजहबी जुनून किस कदर सिर चढ़कर बोलता है, इसकी एक बानगी पिछले दिनों यानी रविवार को लाहौर में तब देखने को मिली, जब एक महिला को उसके कपड़ों की वजह से भीड़ मारने पर उतारू हो गई।

दरअसल, लाहौर के व्यस्त इचरा बाजार में एक महिला ऐसी पोशाक पहनी नजर आई, जिसे मौलवियों और राहगीरों ने ईशनिंदा समझ लिया। फिर क्या था, देखते ही देखते सैकड़ों लोग बीच बाजार में सरेआम महिला से कपड़े उतरवाने और उसे मारने पर उतारू हो गए। 

दरअसल, भीड़ महिला की पोशाक पर छपे अरबी शब्दों को कुरान की आयत समझने लगे और उसे ईशनिंदा करार दे दिया।

हालांकि, गनीमत ये रही कि जिस दुकान से महिला ने कपड़े खरीदे थे, उसने तुरंत मामले में हस्तक्षेप किया और लोगों को समझाने की कोशिश की कपड़ों पर लिखे शब्द उर्दू नहीं बल्कि अरबी हैं और वह कुरान की आयतें नहीं हैं लेकिन लोगों के सिर पर धार्मिक कट्टरता का उन्माद इस कदर हावी था कि भीड़ महिला को खींचते हुए एक रेस्टोरेंट ले गई, जहां उसे कपड़े उतारने के लिए मजबूर किया जाने लगा।

इसी बीच दुकानदार के कॉल करने पर महिला पुलिस अधिकारी एएसपी सैयदा शहरबानो नकवी वहां पहुंच गईं और अरबी सुलेख वाली पोशाक पहनी महिला की जान बचाई।

पाकिस्तान में उस अधिकारी की खूब प्रशंसा हो रही है। पंजाब की नई मुख्यमंत्री मरियम नवाज ने भी असेंबली में उनकी खूब तारीफ की है लेकिन हैरत की बात है कि ये सब तब हुआ, जब राज्य में एक महिला मुख्यमंत्री बनी है और राज्य में महिलाओं की सुरक्षा पर सदन में बयान दे रही हैं।

महिला ने जो पोशाक पहनी थी, उस पर अरबी में हलवा शब्द लिखा था, जिसका अर्थ सुंदर होता है लेकिन अक्ल के दुश्मनों को इससे मतलब नहीं था।

सोशल मीडिया पर वायरल वीडियो में देखा जा सकता है कि रेस्टोरेंट में महिला डरी-सहमी और अपने चेहरे को ढके हुई एक कोने में सिमटी हुई है और वहां मौजूद करीब 300 लोगों की भीड़ महिला से कपड़े उतारने को कह रहे हैं।

भीड़ चेतावनी भी दे रही है कि अगर उसने खुद कपड़े नहीं उतारे तो जबरन उतार दिया जाएगा। एक अन्य फुटेज में महिला पुलिस अधिकारी पीड़ित युवती को घेरे हुए हैं। और उसे भीड़ से बचा रही हैं।

इस बीच, अरबी सुलेख वाला पोशाक बनाने वाली पाक के नामी ब्रांड मंटो ने सोमवार को लोगों को अब अपने ही कपड़े न पहनने की सलाह दी है।

कराची का मंटो नाम का यह ब्रांड पाकिस्तानी फैशन के क्षेत्र में बड़ा नाम है, जो अल्लामा इकबाल, फैज अहमद फैज, मिर्जा गालिब और जौन एलिया जैसे सम्मानित कवियों और शायरों की चुनी शायरी या कविता और दोहे की पक्तियों को कपड़े पर चित्रित कर लोगों को उर्दू साहित्य के प्रति जागरूक करता रहा है। यह ब्रांड अपनी विशिष्ट शैली और उर्दू साहित्य को सशक्त बनाने की प्रतिबद्धता के लिए जाना जाता है।

मंटो ने ग्राहकों की सुरक्षा पर गहरी चिंता जताते हुए सोमवार को एक बयान जारी कर कहा है कि सभी नागरिकों की सुरक्षा और सम्मान के लिए वह प्रतिबद्ध है। मंटो ने अपने बयान में लिखा है कि महिला की जिस पोशाक को लेकर बवाल मचाया गया, उस पर  सौम्य अरबी शब्द छपे थे, जिनका अर्थ ‘सुंदर’ और ‘जीवन’ है, जिन्हें पवित्र कुरान की आयतों समझकर लोगों को भ्रमित किया गया था। 

मंटो का यह बयान, उनके इंस्टाग्राम पर साझा किया गया, जिसमें लिखा है, “वर्तमान घटनाओं के आलोक में, जो कुछ भी हुआ है उसे देखकर हमें बेहद दुख है।

यही कारण है कि हम इस हृदय विदारक मुद्दे का समाधान करना चाहते हैं। कृपया जान लें कि एक व्यक्ति के रूप में आपकी सुरक्षा हमेशा प्राथमिकता होनी चाहिए। और किसी भी समय, यदि आप अपने मंटो पोशाक को पहनने में असहज या असुरक्षित महसूस करते हैं, तो कृपया इसे दूसरी तरफ रख दें।”

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