1700 डिग्री था सतपुड़ा भवन में आग का तापमान, पिघल गए थे खिड़कियों के कांच
भोपाल। तीन दिन पहले सतपुड़ा भवन में लगी आग की घटना के बाद जांच में यह पाया गया है कि तीसरी, चौथी और छठवीं मंजिल पर अग्निदुर्घटना के समय सत्रह सौ डिग्री सेल्सियस तापमान था जिसके कारण इन तीनों मंजिलों पर स्थित खिड़कियों के कांच पिघल गए। सतपुड़ा भवन में लगी आग के दौरान साढ़े चार बजे सेंट्रल लाइट बंद कर दी गई थी। इससे लिफ्ट भी बंद हो गई थी। जांच समिति ने इन लिफ्टों को भी तुड़वाकर जांच की कि कहीं बाहर से आए आम नागरिक लिफ्ट में तो अग्निदुर्घटना के दौरान फंस गए और उनकी अग्नि समाधि तो नहीं बन गई।
सूत्रों के मुताबिक सतपुड़ा भवन में जांच कर रही समिति ने जांच में पाया है कि कई स्थानों पर आग के भीषण तापमान के कारण सीमेंट कांक्रीट टूट कर गिर गया और राड बाहर निकल आई है। इस संभावना से भी इंकार नहीं किया जा सकता कि भवन में जिन मंजिलों पर आग लगी थी वहां सीमेंट-कांक्रीट के अंदर मौजूद लोहे की राड भी पिघली है। अग्नि दुघर्टना के दौरान जले कांच को देखकर यह अनुमान लगाया गया है कि कांच सत्रह सौ डिग्री तापमान पर पिघलता है। इतने तापमान के दौरान फायर फाइटर से भेजे गया पानी भी लपटों में भाप बनकर उड़ रहा था, इसलिए पानी से इतने तापमान वाली आग बुझाने में देरी लगी और काफी पानी खर्च हुआ।
सतपुड़ा में साढ़े तीन से चार बजे के बीच आग लगी थी। आग लगने के बाद सतपुड़ा भवन में सेंट्रली इलेक्ट्रिक सिस्टम से पूरे भवन की बिजली साढ़े चार बजे बंद कर दी गई थी ताकि दुर्घटना और विकराल न हो लेकिन इस दौरान किसी ने इस पर ध्यान ही नहीं दिया कि बाहर से आने वाले आमजन लिफ्ट के जरिए भी बाहर आने का प्रयास कर सकते हैं। कहीं अचानक लिफ्ट बंद हो जाने से अंदर कोई जल कर खत्म तो नहीं हुआ इसे देखने के लिए सतपुड़ा भवन की अग्नि से प्रभावित सभी लिफ्टों को तोड़कर देखा गया लेकिन शुक्र रहा कि समिति को कोई भी शव इसमें नहीं मिला।