छत्तीसगढराज्य

चिड़िया को सोने का पिंजरा नहीं, उसे उड़ने के लिए खुला आसमान चाहिए ##प्रलेस की युवा काव्य गोष्ठी सम्पन्न

बिलासपुर
 प्रगतिशील लेखक संघ की स्थानीय इकाई ने युवा रचनाशीलता पर केंद्रित एक काव्य गोष्ठी का आयोजन किया। उक्त गोष्ठी में शम्मी कुजूर, श्रुति सोनी और उपासना ने अपनी कविताओं का पाठ किया।इन कविताओं में अपने समय तथा परिवेश की स्थितियां, घटनाओं को बहुत ही प्रभावी ढंग से प्रस्तुत किया गया। युवा रचनाकारों की कविताओं में जीवन के विभिन्न पहलुओं को रेखांकित करने का रचनात्मक प्रयास दिखाई दिया। शम्मी कुजूर ने अपनी कविता में प्रकृति, मानवीय संबंध एवं भावनाओं का बहुत ही भावनात्मक चित्रण किया है। पेड़ कविता में कहा गया 'चिड़िया को सोने का पिंजरा नहीं चाहिए उसे उड़ने के लिए खुला आसमान चाहिए'।  वहीं 'मां कविता में मां के अपनत्व व पीड़ा को व्यक्त करते कहा कि " सिल रही है मां घावों को, जैसे सिलती है फटे कपड़ों को'।  युवा कवि श्रुति सोनी ने प्रकृति पर केंद्रित मेरे गीत, परदा, पेड़, विरह  रचनाओं का पाठ किया।
 
नवोदित कवि उपासना
ने 'घर का आंगन' व 'बेटियों का संसार'  शीर्षक कविता का पाठ किया। इस अवसर पर युवा कवि निहाल सोनी ने सम सामयिक विषय पर अपनी धारदार कविता का पाठ किया।

       पठित रचनाओं पर  रफ़ीक खान,मुश्ताक मकवाना,डॉ. अशोक शिरोडे तथा अन्य लोगों ने अपने विचार रखे। तथा नवोदित रचनाकारों का उत्साह वर्धन किया। इस कार्यक्रम में लखन सिंह, गौरव मंगरुलकर, श्रीमती मीना सोनी, पंकज सोनी, ओमप्रकाश भट्ट, जितेंद्र पांडेय, शिवानी सोनी, अभिषेक सोनी, ज़ीशान खोकर, आलम खान, लड्डू आदि की उपस्थिति महत्वपूर्ण रही। गोष्ठी का संचालन स्थानीय इकाई के सचिव डॉ. अशोक शिरोडे ने किया।

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button