चुनाव में काले धन के उपयोग को लेकर तीन आईपीएस अधिकारियों पर लगे थे आरोप, दिए गए जांच के आदेश
भोपाल। प्रदेश के इतिहास में पहली बार भारतीय पुलिस सेवा (आईपीएस) के तीन वरिष्ठ अधिकारियों बी मधु कुमार, संजय माने और सुशोभन बैनर्जी के खिलाफ विभागीय जांच के आदेश जारी किए गए हैं। जिन तीन आईपीएस अधिकारियों के खिलाफ विभागीय जांच के आदेश दिए गए हैं, उनमें दो अधिकारी सेवानिवृत्त हो गए हैं। सुशोभन बैनर्जी भी जल्द ही सेवानिवृत्त होने वाले हैं।
कमलनाथ सरकार के समय भोपाल में पड़े आयकर छापे के बाद केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (सीबीडीटी) की रिपोर्ट के आधार पर तीनों अधिकारियों के खिलाफ 24 फरवरी 2021 को आरोप पत्र जारी किए गए थे। आरोप पत्र का तीनों अधिकारियों ने जवाब दिया, लेकिन जवाब से सरकार संतुष्टि नहीं हुई। इसके बाद गृह विभाग ने विभागीय जांच के आदेश दे दिए हैं। दो आईपीएस सेवानिवृत्त हैं और एक अधिकारी सुशोभन बैनर्जी जल्द ही सेवानिवृत्त होने वाले हैं। ऐसे में तीनों आईपीएस अधिकारियों की विभागीय जांच का जिम्मा सेवानिवृत्त न्यायाधीश वीरेंद्र सिंह को सौंपा गया है। इस संबंध में आदेश जारी किए गए है।
ईओडब्ल्यू ने 2020 में दर्ज की थी जांच
इस मामले में भारत निर्वाचन आयोग के पत्र के बाद ईओडब्ल्यू ने दिसंबर 2020 में प्राथमिकी जांच दर्ज की थी। इस मामले में तत्कालीन अतरिक्त पुलिस महानिदेशक पुलिस सुधार, पुलिस मुख्यालय 1989 बैच के अधिकारी संजय व्ही. माने, तत्कालीन अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक जेएनपीए सागर 1989 बैच के अधिकारी सुशोभन बैनर्जी और तत्कालीन अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक पुलिस मुख्यालय 1991 बैच के अधिकारी व्ही मधु कुमार के खिलाफ केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (सीबीडीटी) नई दिल्ली द्वारा प्रस्तुत रिपोर्ट के संबंध में अखिल भारतीय सेवाएं अनुशासन एवं अपील नियम-1969 के तहत आरोप पत्र 24 फरवरी 2021 को जारी किए गए थे। इसमें अधिकारियों के जवाब संतोषजनक नहीं पाए जाने के बाद शासन ने विभागीय जांच के आदेश दिए हैं।
गौरतलब है कि आयकर विभाग की दिल्ली टीम ने अप्रैल 2019 में पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ के ओएसडी प्रवीण कक्कड़, सलाहकार राजेंद्र मिगलानी, प्रतीक जोशी और अश्विनी शर्मा समेत कारोबारियों के 52 ठिकानों पर छापेमारी की थी। इनके यहां से करोड़ों रुपए के लेन देन की डायरी और कंप्यूटर फाइल जब्त की गई थी। इसमें कई विधायक और मंत्रियों के नाम भी सामने आए थे। इस मामले में आयकर विभाग ने चुनाव आयोग को रिपोर्ट और साक्ष्य प्रस्तुत किए थे।