कूनो नेशनल पार्क में चीतों के बीच हुई लड़ाई में साउथ अफ्रीकी चीता ‘अग्नि’ घायल
मध्य प्रदेश के श्योपुर में कूनो नेशनल पार्क (KNP) में दक्षिण अफ्रीका से लाया गया अग्नि नामक एक चीता सोमवार शाम को आपसी लड़ाई में घायल हो गया। कूनो नेशनल पार्क के वनमंडल अधिकारी (डीएफओ) प्रकाश कुमार वर्मा ने बताया, नामीबिया से लाए गए गौरव और शौर्य और दक्षिण अफ्रीका से लाए गए अग्नि और वायु नर चीतों के बीच सोमवार की शाम करीब छह बजे कूनो नेशनल पार्क के मुक्त क्षेत्र में लड़ाई हुई। इस संघर्ष में अग्नि चीता घायल हुआ है, जिसका उपचार किया जा रहा है।
डीएफओ ने बताया कि उसकी हालत ठीक है। वर्मा ने बताया कि संघर्षरत चीतों को छुड़ाने के लिए साइरन बजाया गया और पटाखे छोड़े गए। इसके बाद घायल अग्नि को बेहोश कर उसका उपचार शुरू किया गया। उन्होंने कहा कि चीतों के बीच इस तरह की लड़ाई सामान्य है। बता दें कि मार्च से अब तक पार्क में जन्मे चार शावकों में से तीन सहित छह चीतों की मौत हो चुकी है।
बता दें, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 17 सितंबर, 2022 को नामीबिया से लाए गए आठ चीतों को कूनो नेशनल पार्क में छोड़ा था। इसके बाद दक्षिण अफ्रीका से लाए गए 12 चीते 18 फरवरी को कूनो में छोड़े गए थे। वहीं, एक मादा चीता ने चार शावकों को जन्म दिया था, जिसके बाद चीतों की संख्या बढ़कर 24 हो गई थी। लेकिन अब तक तीन वयस्क चीतों और तीन शावकों की मौत हो चुकी है। चीतों की मौत के बाद कूनो पार्क में आवास, शिकार आधार और वन्यजीव प्रबंधन की उपयुक्तता पर विशेषज्ञों ने सवाल उठाए थे।
भारत सरकार की महत्वाकांक्षी परियोजना चीता के तहत, अंतर्राष्ट्रीय प्रकृति संरक्षण संघ (आईयूसीएन) के दिशानिर्देशों के अनुसार जंगली प्रजातियों, विशेष रूप से चीतों का फिर से बसाने की मुहिम शुरू हुई. भारत में वन्यजीव संरक्षण का एक लंबा इतिहास रहा है. सबसे सफल वन्यजीव संरक्षण उपक्रमों में से एक ‘प्रोजेक्ट टाइगर’, जिसे 1972 में शुरू किया गया था, जिसने न केवल बाघों के संरक्षण में बल्कि पूरे इकोसिस्टम में भी योगदान दिया है