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नही होगा जबरदस्ती विस्थापन, ग्रामीण स्वेक्षा से ले सकते हैं मुआवजा – संबित मिश्रा 

प्रेस वार्ता कर जिला प्रशासन और वन अधिकारियों ने कहा ग्रामीणों की स्वेच्छा पर निर्भर

आईटीआर के कोर इलाके के ग्रामीणों के विस्थापन का मामला

बीजापुर । इंद्रावती टायगर रिजर्व के कोर एरिया के अंतर्गत 76 गांवों से विस्थापन के लिए प्रशासनिक तौर पर प्रथम चरण में 21 गांवों का चयन किया गया है। इन 21 ग्रामों के स्वेच्छा पूर्वक विस्थापन चाहने वाले परिवारों को शासन के विस्थापन योजना का लाभ पहुंचाने एवं बाघ प्रबंधन की संरक्षण व संवर्धन के लिए ग्रामवार सर्वे करने एवं ग्रामवासी को आवेदन प्रस्तुत करने की तिथि निर्धारित की गई है जिसे गलत तरीके से प्रचारित किया जा रहा है उक्त बातें यहां कलेक्ट्रेट के इंद्रावती कक्ष में जिला प्रशासन और वन विभाग और इंद्रावती टाईगर रिजर्व के आला अधिकारियों ने पत्र वार्ता आयोजित कर कही है।

प्रेस वार्ता में इंद्रावती टाइगर रिजर्व के उपनिदेशक संदीप बलगा ने बताया कि पूर्व में सर्वे एवं आवेदन प्रस्तुत करने की तिथि 23 अगस्त 2024 तय किया गया था, इस तिथि को संशोधित कर अब 01 जनवरी 2025 तक किया गया है। 01 सितम्बर 2025 तक व्यस्क व्यक्ति जिसकी भी आयु 18 वर्ष पूर्ण हो निर्धारण करने के लिए तय किया गया है। आईटीआर इलाके के विस्थापित परिवार के प्रत्येक बालिग सदस्य को 15-15 लाख रुपए देने अथवा कहीं और मूलभूत सुविधाओं के साथ बसाहट की योजना बनाई गई है।

कलेक्टर संबित मिश्रा ने बताया कि 21 गांव में रहने वाले ग्रामवासी अपने स्वेच्छानुसार विस्थापन नहीं होते हैं तो शासन को किसी प्रकार की कोई आपत्ति नहीं होगी। कलेक्टर संबित मिश्रा ने बताया कि टाइगर रिजर्व इलाके में बहुत से ऐसे गांव है जो वीरान हैं अथवा बहुत कम परिवार निवासरत हैं। ग्रामीणों की स्वेक्षा पर निर्भर है कि वे विस्थापन का मुआवजा लें या नहीं लें।

वनमंडलाधिकारी (सामान्य) राम कृष्णा ने कहा कि पहले चरण में चयनित 21 गांव में ज्यादातर वीरान गांव शामिल हैं जिसमें से कई परिवार सलवा जुड़ूम के दौरान गांव छोड़ चुके हैं तो कई नक्सल पीड़ित परिवार भी हैं जिन्होंने अपना सब कुछ छोड़ कर कहीं और निवासरत हैं। ऐसे परिवारों के आवेदन आने शुरू हो गए हैं।

इस दौरान एसडीएम जागेश्वर कौशल, आईटीआर अधिकारी एवं प्रभावित गांव पेनगुंडा के ग्रामीण मौजूद थे।

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