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चिकटराज गुड़ी में 12 पाली के ग्रामीणों ने मनाया धरमराज जात्रा

विशेष अनुष्ठानों का हुआ आयोजन

बीजापुर (कमलेश पैंकरा)। आदिम समुदाय में अपने पूर्वजों को धन्यवाद ज्ञापित करने और कृतज्ञता व्यक्त करने की अपनी अनूठी परंपरा है। बीजापुर के बारह परघना के पारंपरिक पुजारी, गायता, पेरमा और सिरहा ने मिल कर बीजापुर के अराध्य बाबा चिकटराज के पिता धरमराज देव की विशेष पूजा अर्चना किया।चिकट राज देव समिति से मिली जानकारी के मुताबिक लगातार दो बैठकों के बाद बारह परघनिया को न्योता भेजा गया तथा बारह परघनिया क्षेत्र के पेरमा, पुजारी ,गायता सियान सजन मिलकर धरमराज देव का आह्वान किया। मान्यता है कि धरमराज जतरा के बजा बजने से आसपास के सिरहा अपने आप खींचें चले आते हैं।

देव प्रमुख मांझी बबलू सियान ने बताया कि भादो महीने के शुक्लपक्ष में पूर्णिमा के आसपास बाबा चिकटराज के पिता धरमराज का जात्रा मनाया जाता है।

इस दौरान पुरखौती पुजारी द्वारा धरमराज देव को भोग लगा कर गुड़ी के सामने सिरहा गणों द्वारा नृत्य किया जाता है। इसके बाद बारह परगना से आए ग्रामीणों द्वारा धूप, फल फूल का भेंट किया जाता है।

आदिनारायण पुजारी ने बताया की भादो महीने की बारिश यहां धान की फसल के लिए जीवनदायनी होती है किंतु लगातार बारिश फसल को नष्ट कर सकती है। बाबा धरमराज देव के जात्रा के बाद से बारिश भी कम होने लगती है। ताकि फसल अच्छा हो।

 

बाबा धरमराज जात्रा माता मावली की पूजा से इसकी शुरुवात हुई। तत्पश्चात बाबा चिकटराज देव की सेवा अर्जी की गई। बारह परगना के पुजारी गायता पेरमा द्वारा बाबा धरमराज देव जात्रा के लिए आह्वान किया गया जिसके बाद देव सिराहा द्वारा नृत्य किया गया। धरमराज देव की पूजा अर्चना कर मान-दान करने के बाद बड़े कुँअर-छोटे कुंवर की सेवा अर्जी व मान-दान, फिर चिकटराज बाबा का मान दान एवम इलाके के सुख शान्ति के लिए आशीर्वाद लेते हुए कारीकंकालिन माता की सेवा अर्जी की गई।

बाबा धरमराज जात्रा में पाली क्षेत्र गोरना, भोसागुड़ा, संतोषपुर, तुमनार, पेद्दाकोड़ेपाल, मुसालूर, तुरनार, धनोरा, मलगोड़ा, मुरकीनार, गुड्डीपाल के पेरमा, पुजारी, गायता सियान मौजूद रहे।

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