छत्तीसगढ

रमन सिंह और वसुंधरा राजे सिंधिया उपाध्यक्ष पद पर बरकरार, चुनावों से पहले क्या कहता है ये दांव…..

रमन सिंह और वसुंधरा राजे सिंधिया उपाध्यक्ष पद पर बरकरार, चुनावों से पहले क्या कहता है ये दांव

OFFICE DESK :- भारतीय जनता पार्टी ने अपने केंद्रीय पदाधिकारियों की लिस्ट जारी कर दी है. इस लिस्ट में 13 उपाध्यक्षों के नाम का भी ऐलान किया गया है.

इनमें से तीन नाम पूर्व मुख्यमंत्रियों के हैं, जो पहले से ही इस पद पर काबिज थे. राजस्थान की पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे सिंधिया, छत्तीसगढ़ के पूर्व सीएम रमन सिंह और झारखंड के मुख्यमंत्री रघुबर दास को पार्टी ने उपाध्यक्ष पद पर बरकरार रखा है.

वहीं मध्य प्रदेश के कद्दावर नेता कैलाश विजयवर्गीय को भी राष्ट्रीय महामंत्री पद पर बरकरार रखा गया है. यानी साफ है कि 2024 के लोकसभा चुनावों के मद्देनजर बनाई जाने वाली इस टीम में आगामी विधानसभा चुनावों को भी ध्यान में रखा गया है.

मध्य प्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ में इस साल के आखिर में विधानसभा के चुनाव होने हैं. 2018 के पिछले विधानसभा चुनावों में इन तीनों ही राज्यों में बीजेपी को हार का सामना करना पड़ा था. हार के बाद बीजेपी ने इन तीनों राज्यों के पूर्व मुख्यमंत्रियों को केंद्रीय संगठन में जगह देते हुए उपाध्यक्ष बनाया.

साल 2020 में ज्योतिरादित्य सिंधिया के बीजेपी में आ जाने के बाद मध्य प्रदेश में फिर से बीजेपी की सरकार बनी और मुख्यमंत्री बनने के बाद शिवराज सिंह चौहान को इस पद से हटा दिया गया और झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री रघुबर दास को उपाध्यक्ष बनाया गया.

अब एक बार फिर से पार्टी इन तीनों राज्यों में होने वाले चुनावों के लिए तैयारी कर रही है. ऐसे में पार्टी ने इन राज्यों- छत्तीसगढ़ और राजस्थान में पूर्व मुख्यमंत्रियों को केंद्रीय कार्यकारिणी से न हटाकर उनका पद बरकरार रखा है.

इन राज्यों में बीजेपी की रणनीति है कि केंद्रीय नेतृत्व के निर्देशन में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के चेहरे पर चुनाव लड़ा जाए. इससे पार्टी को उनकी लोकप्रियता का फायदा मिलेगा और साथ ही साथ पार्टी के भीतर की गुटबाजी को भी चुनाव के नतीजों तक थामा जा सकेगा.

वसुंधरा का दबदबा केंद्र में भी कायम

पहले राजस्थान पर नजर डालते हैं. बीजेपी का गढ़ माने जाने वाला ये राज्य, लोकसभा चुनावों में तो लगातार बीजेपी को बंपर जीत देता रहा है, लेकिन विधानसभा चुनाव में राजस्थान से बीजेपी को झटके मिले हैं.

पिछले लोकसभा चुनाव में बीजेपी ने जहां 25 में से 24 सीटें जीती थीं, वहीं लोकसभा चुनाव के छह महीने पहले हुए विधानसभा चुनाव में बीजेपी को हार का सामना करना पड़ा था. उसके बाद से ही बीजेपी फिर से राज्य में खुद को मजबूत करने की कोशिश में लगी है, लेकिन हर बार पार्टी के सामने एक बड़ा मसला चुनौती बनकर खड़ा हो जाता है, वो है गुटबाजी का.

बीजेपी ने खूब कोशिश की कि राजस्थान में ‘वसुंधरा ही बीजेपी और बीजेपी ही वसुंधरा’ की छवि को धोया जा सके. इसके लिए पार्टी ने कई नेताओं को उठाने की कोशिश की,

लेकिन वसुंधरा की पकड़ के चलते पार्टी ऐसा करने में सफल नहीं हुई. वसुंधरा राजे की राजस्थान में मजबूत पकड़ है और केंद्रीय नेतृत्व की पसंद न होने के बाद भी वो खुद को बीजेपी के लिए महत्वपूर्ण बनाई हुई हैं. ऐसे में बीजेपी एक बार फिर अब राजस्थान में उनके इर्द-गिर्द घूम रही है.

पार्टी की रणनीति हो या केंद्रीय नेतृत्व के दौरे, राजस्थान में हर जगह वसुंधरा राजे का दबदबा दिखाई दे रहा है. पार्टी ने अब उन्हें उपाध्यक्ष के पद पर कायम रखकर एक बार फिर ये बता दिया है कि उनका महत्व पार्टी में क्या है. हालांकि अब राजस्थान में इंतजार है राज्य की कार्यकारिणी के ऐलान का, जिसमें वसुंधरा राजे सिंधिया की असल ताकत और केंद्रीय नेतृत्व में उनके महत्व का पता लग सकेगा.

रमन सिंह भी उपाध्यक्ष पद पर बरकरार

वहीं लिस्ट में चुनावी राज्य के एक और पूर्व मुख्यमंत्री हैं रमन सिंह. छत्तीसगढ़ की सत्ता में 15 साल तक काबिज रहने के बाद रमन सिंह पिछले चुनावों में हार गए थे. तभी से पार्टी लगातार कोशिश कर रही है कि रमन सिंह का विकल्प ढूंढा जा सके. हालांकि अभी तक पार्टी इसमें सफल साबित नहीं हुई है.

अब उन्हें केंद्रीय पदाधिकारी के तौर पर फिर से चुना जाना दोनों बातों की ओर इशारा कर रहा है. पहला कि उनकी इमेज अभी भी केंद्र की नजर में मजबूत है और दूसरा की शायद उन्हें पद पर कायम रख छत्तीसगढ़ से दूर किया जा रहा है। वही छत्तीसगढ़ में भाजपा संगठन के भीतर उपज रहे असंतोष को हल करने की दिशा में उठाया गया

कदम मान रहे हैं। चुनाव का परिणाम क्या आता है यह तो अभी भविष्य के गर्भ में हैं लेकिन प्रदेश में पहले से चल रही रमन सिंह की ही विधानसभा चुनावों में चलेगी यह साफ़ साफ़ संकेत पार्टी आलाकमान ने देने की कोशिश की हैं।

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