छत्तीसगढराज्य

पानी और पेड़ दोनों को बचा कर रखना जरुरी – डेका

रायपुर। पानी होगा तो पेड़ रहेगा और पेड़ होगा तो पानी रहेगा, इसलिए दोनों को बचा कर रखना है और हर व्यक्ति को एक पेड़ मां के नाम लगाना है। प्राकृतिक सुन्दरता से भरपूर छत्तीसगढ़ राज्य में ईको टूरिज्म को बढ़ावा दिया जाए साथ ही जल संरक्षण के लिए भी सभी को ध्यान देने की जरूरत है। राज्यपाल रमेन डेका ने आज रायपुर में आयोजित हरित शिखर सम्मेलन के समापन कार्यक्रम में उक्त बातें कहीं।
वन और जलवायु परिवर्तन विभाग के सहयोग से विबगयोर नॉर्थ फांउडेशन और प्रज्ञा प्रवाह संस्था द्वारा आयोजित तीन दिवसीय छत्तीसगढ़ शिखर सम्मेलन के समापन कार्यक्रम में राज्यपाल श्री डेका बतौर मुख्य अतिथि शामिल हुए। श्री डेका ने छत्तीसगढ़ के 32 प्रतिशत वन क्षेत्रों में बेहतर वन प्रबंधन के लिए सरकार को बधाई दी। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के पहल पर एक पेड़ मां के नाम अभियान में हर व्यक्ति की भागीदारी होनी चाहिए, 140 करोड़ जनसंख्या वाले हमारे देश में हर व्यक्ति एक पेड़ लगाएगा तो देश का परिदृश्य बदल जाएगा। उन्होंने कहा कि पेड़ लगाने के बाद उसका संरक्षण भी करना होगा। आज जंगलों में अंधाधुंध पेडोें के काटे जाने से वहां रहने वाले जानवरांे को भोजन की दिक्कत हो रही है, इसलिए वे भोजन की खोज में आबादी वाले क्षेत्रों में आते हैं।
राज्यपाल श्री डेका ने कहा कि जल संरक्षण भी बहुत जरूरी है। इस पर सभी ध्यान देना होगा तभी मानव सभ्यता कायम रहेगी। उन्होंने रेन हार्वेस्टिंग को जरूरी बताया और कहा कि अमेरिका में 60 प्रतिशत घरों में रेन हार्वेस्टिंग की व्यवस्था की जाती है लेकिन हमारे देश में यह केवल 10 प्रतिशत ही है, इस पर भी ध्यान देने की जरूरत है। जो देेश पानी बचाता है उसकी अर्थव्यवस्था भी उन्नत होती है।
राज्यपाल ने छत्तीसगढ़ में ईको टूरिज्म को बढ़ावा देने के लिए व्यापक प्रचार-प्रसार पर बल दिया इससे प्रदेश की अर्थव्यवस्था भी आगे बढ़ेगी। उन्होेंने कहा कि सामुदायिक सहभागिता की भावना हमारी लोक संस्कृति से उपजी है। आज के समय में जब पर्यावरणीय चुनौतियां बढ़ती जा रही है, सामुदायिक सहभागिता की भावना हमें मिलकर समाधान खोजने और सामूहिक प्रयासों के माध्यम से इन चुनौतियों का सामना करने की प्रेरणा देती है। उन्होंने सभी से आग्रह किया कि अपनी लोक संस्कृति को सहजने के साथ-साथ इसे पर्यावरण संरक्षण के लिए एक प्रेरणा के रूप में अपनाये। श्री डेका ने अपील करते हुए कहा कि हम मिलकर यह संकल्प लें कि हम अपने प्राकृतिक संसाधनों का संरक्षण करेंगे, पर्यावरणीय चुनौतियों का सामना करने के लिए तैयार रहेंगे और सतत् विकास की राह पर चलेंगे।   
कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए वन मंत्री केदार कश्यप ने कहा कि छत्तीसगढ़ में जंगलों को पुर्नजिवित करने का कार्य प्राथमिकता से किया जा रहा है और ज्यादा से ज्यादा जंगल लगाने का प्रयास किया जा रहा है। उन्होंने भविष्य में टूरिस्ट बोर्ड के गठन की जानकारी दी और कहा कि आने वाली पीढ़ी के लिए प्रकृति की रक्षा करना हमारा सबसे बडा कर्तव्य है।
कार्यक्रम में प्रधान मुख्य वन संरक्षक वी.श्रीनिवास राव ने स्वागत उद्बोधन करते हुए कार्यक्रम के उद्देश्य पर प्रकाश डाला। एमिटी विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. पीयुषकांत पांण्डेय ने सम्मेलन का विस्तृत प्रतिवेदन प्रस्तुत किया। इस अवसर पर पर्यावरण के क्षेत्र में उल्लेखनीय कार्य करने वाले व्यक्तियों को ग्रीन अवॉर्ड से सम्मानित किया गया। कार्यक्रम में छत्तीसगढ़ बायो डायवर्सिटी बोर्ड के संचालक राकेश चतुर्वेदी, मेघालय स्कूल शिक्षा बोर्ड के चेयरमेन सी.पी. मारक, प्रज्ञा प्रवाह संस्था के अतुल नागले, वैज्ञानिक पर्यावरण विशेषज्ञ, प्रोफेसर, प्राध्यापक, अन्य प्रबुद्धजन तथा छात्र-छात्राएं बड़ी संख्या में उपस्थित थे।

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button