विधायक विक्रम मंडावी ने लगाया आरोप – भाजपा और वन-विभाग आदिवासियों के जीने के अधिकार को छीनने लगी है
दशकों से काबिज आदिवासी किसानों को अचानक बेदखल करने की कार्रवाई चिंता जनक – विक्रम मंडावी
बीजापुर । गुरुवार को बीजापुर विधायक विक्रम मंडावी एक दिवसीय प्रवास पर भोपालपटनम क्षेत्र के ग्राम तारूड़ पहुंचे जहां ग्रामीणों से मुलाक़ात कर ग्रामीणों की समस्याओं से रूबरू हुए। जिसके बाद विधायक विक्रम मंडावी ने आरोप लगाया है कि सरकार आदिवासियों को जीने के अधिकार से वंचित कर रही है।
मुलाकात के दौरान ग्रामीणों ने विधायक विक्रम मंडावी को बताया कि वे पिछले दो से तीन दशकों से भी अधिक समय से ग्राम तारूड़ में घर बाड़ी बनाकर रह रहें हैं और तारूड़ गांव में ही खेती किसानी कार्य कर अपना जीवन यापन कर रहे हैं। लेकिन पिछले कुछ दिनों वन विभाग के अधिकारी कर्मचारी गांव आकर हमारे जमीन और घर बाड़ी से जबरन बेदखल करने में लगे हुए है जिससे हम मानसिक रूप से बहुत परेशान हैं। कृषि सीजन के समय में आखिर वन विभाग अधिकारी और कर्मचारियों की यह कार्य समझ से परे है।
ग्रामीणों से मुलाकात के बाद बीजापुर के विधायक विक्रम मंडावी ने कहा कि प्रदेश की भाजपा सरकार और बीजापुर की वन विभाग और उसके अधिकारी कर्मचारी अब आसिवासीयों के जीने के अधिकार को भी छीनने में लगी हुई है, दशकों से काबिज भूमियों से आदिवासी किसानों को अचानक बेदखल किए जाने की कार्यवाही बेहद दुर्भाग्यपूर्ण और चिंताजनक है। विधायक विक्रम मंडावी ने प्रदेश की भाजपा सरकार से मांग करते हुए कहा कि सरकार किसानों को उनके कृषि भूमियों से वन विभाग के अधिकारियों और कर्मचारियों द्वारा की जा रही बेदखली की कार्यवाही को गंभीरता से लें और वन विभाग के अधिकारी और कर्मचारियों द्वारा की जा रहीं बेदख़ली की कार्यवाही पर तत्काल रोक लगाएं। साथ ही जबरन बेदख़ली की कार्यवाही कर रहे कर्मचारियों पर भी कार्यवाही की जाये। अन्यथा आदिवासी किसानों के साथ मिलकर वन विभाग की बेवजह और मनमानी कार्यवाही के ख़िलाफ़ आंदोलन के लिए बाध्य होंगे।
इस दौरान जिला कांग्रेस अध्यक्ष लालू राठौर, जिला पंचायत सदस्य नीना रावतिया उद्दे, सरिता चापा, जनपद अध्यक्ष निर्मला मरपल्ली, कामेश्वर गौतम, वासम रामा राव, अल्वा मदनैया, काका भास्कर, बुधराम मिच्छा, मट्टी बुधराम, अफजल खान, अशोक मेडे, पी. नागेश, अशोक करतम, श्रीनिवास पिरला, मिच्चा किस्तैया, पिरला सत्यम समेत बड़ी संख्या में ग्रामीण मौजूद थे।