छत्तीसगढराज्य

छत्तीसगढ़-धमतरी में नि:संतान महिलाओं के पेट में पैर रखता है पुजारी, कामना पूर्ति की अजीबोगरीब परंपरा

धमतरी.

दण्डकारण्य का प्रवेशद्धार कहे जाने वाले धमतरी इलाके में देवी शक्तियों का हमेशा से ही वास रहा है। लेकिन गंगरेल की तराई में मौजूद अंरगारमोती माता की महिमा निराली है। नवरुपों में पूजे जाने जाने वाली माता का यह रुप यथा नाम तथा गुणों वाली है, जो सदियों से इलाके की रक्षा करते आ रही है।

शक्ति और भक्ति के इस सगंम में कई चमत्कार भी होते रहते हैं। माता के इन्ही चमत्कारों की वजह से आज भी गंगरेल स्थित अंगारमोती मंदिर में हर साल की भांति इस साल भी दीवाली के बाद आज पहली शुक्रवार को मेला लगा था। मान्यता है कि आज के दिन निसंतान महिला यहां पुजारी के पैरो से रौंदी जाए, तो उसे संतान की प्राप्ति होती है। यही वजह है कि आज मेले में सैकड़ों नि:संतान महिलाएं संतान सुख की कामना लेकर मां के दरबार पहुंची थीं। माँ के आशीर्वाद के लिये महिलाओं को प्रथा का पालन भी करना होता है, जो यहां सदियों से प्रचलित है।इसके लिये नि:संतान महिलाएं अंगारमोती माता मंदिर अलसुबह पहुंचकर। अपने बाल खुलकर निराहार रूप में रहती है और हाथ में एक नारियल लेकर ये महिलाएं इंतजार करती है। माता के पूजा पाठ के बाद मुख्य पुजारी देवी रूप धारण करते है। बैगा पर मां अंगारमोती स्वयं सवार होती है। जैसे ही बैगा मंदिर की तरफ बढ़ते हैं। तभी सभी महिलाएं रास्ते में औंधे लेट जाती हैं। बैगा इन महिलाओं के ऊपर से चलते हुए मंदिर तक जाता है। मान्यता हैं कि जिन महिलाओं के ऊपर बैगा का पैर पड़ता है। उसकी गोद जरूर हरी होती है। ये तमाम महिलाएं बैगा के पैर के नीचे आने के लिये ऐसा करती हैं ओर ये परम्परा से हजारों महिलाओं की सुनी गोद मां ने भर दी है। पिछली बार करीब 300 महिलाओं ने आशीर्वाद मांगने लेटी थी और इस बार संख्या करीब 500 से ऊपर रहा। हाथ में फुल और नारियल का फल लेकर घंटों इंतजार करती हैं। फिर मेला विहरण के समय जमीन में लेट गई। इसी पुरानी मान्यता के अनुसार निसंतान महिलाओं को मां अंगारमोती का आशीर्वाद मिल गया। आने वाला वक्त में इन्हीं महिलाओं के आंगन में भी किलकारियां जरूर गूंजेगी। यही वजह है गंगरेल में दूरदराज के लोगों का आज तांता लगा रहा।

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button