मध्यप्रदेश

सड़क पर उतरे शिक्षक भर्ती परीक्षा के सफल अभ्यर्थी, सीएम से मिलने की जिद पर अड़े

शिक्षक भर्ती परीक्षा : मध्य प्रदेश में प्राथमिक शिक्षक भर्ती परीक्षा चयनित अन्य पिछड़ा वर्ग के अभ्यर्थियों के नियुक्ति पत्र जारी न किए जाने का मामला तूल पकड़ रहा है। बीते 10 दिनों से राजधानी भोपाल (Bhopal) में धरना प्रदर्शन कर रहे शिक्षक वर्ग-3 के 882 अभ्यार्थी मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान से मिलने की जिद कर रहे हैं। मिलने नहीं देने पर इन अभ्यार्थियों ने सीएम हाउस के सामने ही सडक़ पर धरना प्रदर्शन शुरू कर दिया है तो इन अभ्यार्थियों ने राजधानी भोपाल की दीवारों पर पैम्फलेट भी चस्पा किए हैं, इनपर लिखा है कि ”882 अभ्यार्थी लापता, मिलने पर संपर्क करें।

नियुक्ति आदेश जारी करने की मांग

चयनित परीक्षार्थियों ने नियुक्ति पत्र की मांग को लेकर CM शिवराज के आवास के बाहर प्रदर्शन रहे हैं। विभिन्न राज्य से पहुंचे अभ्यर्थियों ने CM शिवराज के आवास के सामने प्रदर्शन कर रहे और नियुक्ति आदेश जारी करने की मांग कर रहे हैं। छात्रों का आरोप है कि उनकी नियुक्ति के आदेश जारी नहीं किए जा रहे है।

तंबू लगाकर धरना प्रदर्शन

शिक्षक भर्ती वर्ग 3 परीक्षा 2020 में सिलेक्ट हुए ओबीसी वर्ग के अभ्यार्थी भोपाल में तंबू लगाकर धरना प्रदर्शन कर रहे हैं। धरना प्रदर्शन करने से पहले ओबीसी के चयनित अभ्यार्थियों ने आवेदन देकर बताया कि द्वितीय काउंसलिंग में ओबीसी अभ्यार्थियों की भर्ती विभाग द्वारा जिला रोस्टर के आधार पर न करके मनमाने ढंग से की गई और इस भर्ती में आरक्षण संबंधी कोई भी विवाद न्यायालय के अधीन नहीं है। शिक्षक वर्ग-3 चयनित 882 अभ्यार्थी मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान से मिलने की जिद कर रहे हैं। जब प्रशासनिक अमले ने इन अभ्यार्थियों को सीएम हाउस में जाने से रोक दिया तो यह अभ्यार्थी सीएम हाउस के सामने स्थित सडक़ पर ही धरने पर बैठ गए हैं और सीएम शिवराज सिंह चौहान से मिलने की जिद कर रहे हैं।

अरुण यादव ने प्रदर्शनकारी छात्रों का समर्थन किया

कांग्रेस ने राज्य सरकार पर ओबीसी विरोधी होने का आरोप लगाया है। राज्य में पिछले वर्षों में हुई प्राथमिक शिक्षक वर्ग 3 परीक्षा के सफल परीक्षार्थियों को नियुक्ति न दिए जाने के आरोप लंबे अरसे से लग रहे हैं। कांग्रेस के पूर्व प्रदेशाध्यक्ष अरुण यादव ने प्रदर्शनकारी छात्रों का समर्थन करते हुए कहा कि, सीएम शिवराज अपने आपको ओबीसी हितैषी बताते हैं। मगर उनके कार्यकाल में सबसे ज्यादा प्रताड़ित दलित, आदिवासी और पिछड़ा वर्ग ही रहा है।

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