छत्तीसगढ

जंगल की पहरेदारी करने वाली देवी मां, टहनियों को ले जाने से डरते हैं लोग…..

सम्यक नाहटा, जांजगीर-चांपा। छत्तीसगढ़ के जांजगीर-चांपा जिले के पहरिया में पहाड़ पर मां अन्नधरी का वास है। पहाड़ी में विराजित देवी मां खुद जंगल की रक्षा करती हैं।

पहरिया का जंगल एक ऐसा वन क्षेत्र है, जहां हरे भरे पेड़ों को काटना तो दूर गिरी हुई टहनियों को भी ले जाने से लोग डरते हैं। ऐसी मान्यता है कि, यहां जंगल की पहरेदार मां अन्नधरी देवी है,

जिसे इस क्षेत्र के लोग जंगल की देवी के रूप में पूजते हैं। जिला मुख्यालय जांजगीर से करीब 20 किलोमीटर की दूरी पर स्थित ग्राम पहरिया की मां अन्नधरी देवी की ख्याति दूर-दूर तक है।

यहां प्रतिवर्ष क्वांर और चैत्र नवरात्रि में ज्योतिकलश प्रज्लवलित किए जाते हैं। करीब 50 एकड़ क्षेत्रफल में फैले पहरिया पाठ जंगल की हरियाली अब तक कायम है, इसका मुख्य कारण अन्नधरी दाई के प्रति लोगों की आस्था को माना जाता है। ऐसी मान्यता है कि, अन्नधरी दाई साक्षात रूप से जंगल की रखवाली करती हैं।

अगर किसी ने जंगल को नुकसान पहुंचाने या पेड़-पौधे काटने की कोशिश की, तो उसका परिणाम अच्छा नहीं होता। इसी वजह से आसपास के ग्रामीण जंगल से किसी भी स्थिति में लकडियां अपने घर नहीं ले जाते।

यहां तक कि, पेड़ से टूटकर गिरी हुई टहनियां जंगल में ही पड़े-पड़े सड़ जाते हैं, लेकिन कोई इसे घर ले जाने की हिम्मत नहीं करता। ग्रामीण बताते हैं कि, ऐसा करने से किसी न किसी मुसीबत का सामना करना पड़ता है। मां अन्नधरी देवी के प्रभाव से ही पहरिया का जंगल आज भी हरियाली से भरा हुआ है।

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