पाकिस्तान में भी उभर रहा निष्पक्ष दृष्टिकोण, नवाज शरीफ के कबूलनामे पर भारत का रिएक्शन…
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पाकिस्तान के लाहौर समझौते का उल्लंघन करने संबंधी पूर्व प्रधानमंत्री नवाज शरीफ की टिप्पणी के कुछ दिनों बाद भारत ने बृहस्पतिवार को कहा कि पड़ोसी देश में इस मुद्दे पर एक निष्पक्ष दृष्टिकोण उभर रहा है।
शरीफ ने मंगलवार को कहा था कि पाकिस्तान ने उनके और पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के बीच 1999 में भारत के साथ हुए समझौते का “उल्लंघन” किया है।
उनका इशारा जनरल परवेज मुशर्रफ द्वारा करगिल पर किए गए हमले की ओर था।
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने कहा, “आप इस मुद्दे पर हमारी स्थिति से अवगत हैं। मुझे इसे दोहराने की आवश्यकता नहीं है।
हम देखते हैं कि इस मामले पर पाकिस्तान में भी एक निष्पक्ष दृष्टिकोण उभर रहा है।” वह अपनी साप्ताहिक प्रेस वार्ता में इस मामले पर पूछे गए एक सवाल का जवाब दे रहे थे।
लाहौर में ऐतिहासिक शिखर सम्मेलन के बाद, भारत के तत्कालीन प्रधानमंत्री वाजपेयी और शरीफ ने 21 फरवरी, 1999 को लाहौर घोषणापत्र पर हस्ताक्षर किए थे।
दोनों पड़ोसी देशों के बीच शांति और स्थिरता के दृष्टिकोण पर बात करने वाला यह समझौता एक सफलता का संकेत है। कुछ महीने बाद, हालांकि जम्मू कश्मीर के करगिल जिले में पाकिस्तानी घुसपैठ के कारण भीषण संघर्ष हुआ।
शरीफ ने पीएमएल-एन की आम परिषद की बैठक में कहा, “28 मई 1998 को पाकिस्तान ने पांच परमाणु परीक्षण किए। उसके बाद वाजपेयी साहब यहां आए और हमारे साथ समझौता किया।
लेकिन हमने उस समझौते का उल्लंघन किया… यह हमारी गलती थी।” इस आम परिषद की बैठक में उन्हें पाकिस्तान में सत्तारूढ़ पार्टी का अध्यक्ष चुना गया है।
शरीफ और वाजपेयी ने यहां 21 फरवरी, 1999 को लाहौर समझौते पर हस्ताक्षर किए। दोनों देशों के बीच शांति और स्थिरता के दृष्टिकोण की बात करने वाले इस समझौते ने एक बड़ी सफलता का संकेत दिया, लेकिन कुछ महीने बाद जम्मू-कश्मीर के करगिल जिले में पाकिस्तानी घुसपैठ के कारण करगिल युद्ध हुआ।
पाकिस्तान के परमाणु परीक्षण की 26वीं वर्षगांठ मनाने के बीच शरीफ ने कहा, ‘‘राष्ट्रपति बिल क्लिंटन ने पाकिस्तान को परमाणु परीक्षण करने से रोकने के लिए पांच अरब अमेरिकी डॉलर की पेशकश की थी लेकिन मैंने इनकार कर दिया। अगर (पूर्व प्रधानमंत्री) इमरान खान जैसे व्यक्ति मेरी सीट पर होते तो उन्होंने क्लिंटन का प्रस्ताव स्वीकार कर लिया होता।’’
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