1996 की तरह फिर विरोध के मूड में उमा भारती
भोपाल। प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री उमा भारती ने महिला आरक्षण विधेयक संसद के दोनों ही सदनों में पारित होने के बाद अब ओबीसी वर्ग को और अधिक महत्व दिए जाने को लेकर अभियान छेडऩे का फैसला किया है। उन्होंने कहा है कि जिस ओबीसी आरक्षण के वजह से यह विधेयक इतने सालों तक रुका रहा उसके बिना ही यह पारित हो गया। हमारी पार्टी की सरकार ने इसको जिस भी रूप में पारित किया वह आज स्वीकार है, लेकिन हक के लिए लडऩा होगा। इसी को लेकर उमा भारती ने आज शनिवार को ओबीसी वर्ग के नेताओं व अन्य विभिन्न क्षेत्रों में काम कर रहे वरिष्ठ लोगों की बैठक बुलाई है। उमा भारती ने ट्वीट के जरिये बैठक बुलाने की जानकारी दी है। ज्ञात हो कि वर्ष 1996 में जब महिला आरक्षण विधेयक लोकसभा में पहली बार लाया गया था, तब भी उमा भारती ने अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) वर्ग की महिलाओं के लिए अलग से आरक्षण का प्रावधान करने की मांग को लेकर बड़ा विरोध किया था। हालंकि बाद में यह विधेयक पारित नहीं हो सका था।
ट्वीट में उमा भारती ने कहा है कि महिला आरक्षण विधेयक पारित हो गया। अब पिछड़े वर्गों को स्थान देने के लिए एक और संशोधन का मार्ग निकालना है। इसलिए भोपाल शहर के एवं उसके आसपास के पिछड़े वर्ग के प्रमुख नेताओं के साथ गुरुवार को विचार विमर्श हुआ। उमा भारती तीन दिन पहले भी इसको लेकर मध्यप्रदेश से अभियान शुरू करने की बात कर चुकी हैं और उन्होंने ओबीसी महिलाओं को अधिक आरक्षण देने को लेकर पीएम नरेंद्र मोदी को पत्र भी लिखा था।
यह सवाल उठाए हैं उमा भारती ने
इसके पहले लोकसभा में महिला आरक्षण विधेयक पारित होने के बाद उमा ने ट्वीट के माध्यम से कहा था कि 27 साल पहले यह विधेयक सर्वानुमति से पारित होने के लिए प्रस्तुत हुआ था तब हमारी पार्टी भाजपा, कॉंग्रेस एवं वामपंथी एकमत थे। तबके प्रधानमंत्री एचडी देवेगौड़ा द्वारा सदन में पेश करते समय ही यह विधेयक ओबीसी, एससी, एसटी आरक्षण की दलील पर स्टैंडिंग कमेटी को भेज दिया गया। फिर इतने सालों तक यह लंबित रहा। जिस ओबीसी आरक्षण के वजह से यह विधेयक रुका रहा उसके बिना ही यह पारित हो गया। हमारी पार्टी की सरकार ने इसको जिस भी रूप में पारित किया वह आज स्वीकार है किंतु पार्टी की मर्यादा में रह कर लोकतांत्रिक तरीक़े से जब तक यह विधेयक लागू नहीं होता तब तक ओबीसी आरक्षण के संशोधन के लिए दृढ़निश्चयी बने रहेंगे। यह आरक्षण संविधान में विशेष संशोधन हैं तो देश की 60 प्रतिशत आबादी ओबीसी के लिए एक संशोधन और किया जा सकता है। हम सभी अपनी तपस्या एवं पीएम नरेंद्र मोदी पर अपना विश्वास बनाए रखें।
1996 में उमा भारती ने किया था इस तरह का विरोध
गौरतलब है कि महिला आरक्षण विधेयक सामने आने के बाद ही उमा ने कहा था कि 1996 में देवगोड़ा जी ने जब इसे प्रस्तुत किया तब मैने इस बिल का स्वागत करते हुए, खड़े होकर सदन के सामने इस बिल में एक संशोधन प्रस्तुत किया। देवगोडा ने संशोधन पर अपनी सहमति जताते हुए उसे स्टैंडिंग कमेटी को सौंप दिया जिससे यह बिल विचाराधीन हो गया था।
कांग्रेस ने 50 प्रतिशत आरक्षण की उठाई मांग
इधर मध्य प्रदेश महिला कांग्रेस अध्यक्ष विभा पटेल ने कहा है कि ‘नारी शक्ति वंदन विधेयकÓ से स्पष्ट है कि इस विधेयक में ओबीसी वर्ग की महिलाओं के लिए अलग से कोई कोटा निर्धारित नहीं किया गया है। पटेल ने कहा कि लोकसभा, राज्यसभा और राज्य की विधानसभाओं में महिलाओं को 50 प्रतिशत आरक्षण का लाभ दिया जाना चाहिए। पटेल ने कहा है कि महिला आरक्षण की परिकल्पना स्वर्गीय राजीव गांधी की है। उन्होंने महिला आरक्षण में पिछड़े, दलित, आदिवासी महिलाओं के लिए अलग से आरक्षण दिए जाने की वकालत की।