मध्यप्रदेश

भाजपा-कांग्रेस में दक्षिण-पश्चिम को लेकर संशय, भीतरघात से बचने कांग्रेस ने भोपाल की चार सीटों पर रोके प्रत्याशियों के नाम

भोपाल। राजधानी भोपाल के अंतर्गत आनेवाली सात सीटों में से कांग्रेस ने अपनी पहली सूची में तीन उम्मीदवारों के नाम घोषित कर दिए है इस बीच भीतरघात से बचने और पनपते असंतोष को रोकने चार सीटों पर तय प्रत्याशियों के नाम अभी घोषित नहीं किए है। लिहाजा दावेदारों के बीच अभी भी प्रतिस्पर्धा बनी हुई है। सबसे ज्यादा संशय दक्षिण-पश्चिम विधानसभा को लेकर है जहां पूर्व मंत्री पीसी शर्मा का नाम फिलहाल घोषित नहीं किया गया है। उधर भाजपा में भी इस सीट पर पूर्व मंत्री उमाशंकर गुप्ता की दावेदारी के चलते उम्मीदवार का नाम अभी तक घोषित नहीं हो पाया है। कांग्रेस ने जिन चार सीटों को होल्ड पर रखा है उनमें दक्षिण-पश्चिम के अलावा, हुजूर, गोविंदपुरा और उत्तर विधानसभा प्रमुख है। माना यह भी जा रहा है कि पूर्व मंत्री आरिफ अकील के अस्वस्थ होने के कारण वे चुनाव लडऩे के इच्छुक नहीं है लेकिन पार्टी इस सीट को बरकरार रखने के लिए उन पर दोबारा से चुनाव लडऩे का दबाव बना रही है।

दक्षिण-पश्चिम में संजीव बनाम पीसी शर्मा के बीच जारी है द्धंद

भोपाल की दक्षिण पश्चिम विधानसभा सीट को लेकर सबसे ज्यादा संशय बना हुआ है। इस सीट पर पूर्व मंत्री पीसी शर्मा की दावेदारी सबसे मजबूत है तो वहीं कुछ मीडिया हाउस के सर्वे में कांग्रेस नेता संजीव सक्सेना का नाम रेस ेमें सबसे आगे बताया गया है। इस बीच इन दोनों नामों को लेकर संशय बरकरार है। चंूंकि संजीव पूर्व में बसपा के टिकट पर चुनाव लड़कर कांग्रेस की लुटिया डूबो चुके है लिहाजा उन्हें मनाकर पीसी शर्मा को दोबारा से उम्मीदवार बनाए जाने की संभावनाओं पर विचार किया जा रहा है। इसके अलावा संजीव की कांग्रेस से दावेदारी भी अभी खारिज नहीं हुई है। उधर भाजपा में पूर्व मंत्री उमा शंकर गुप्ता भी चुनाव लडऩे के इच्छुक है जिसकी वजह से यहां से भाजपा के दावेदारों के बीच बैचेनी बढ गई है।

दक्षिण-पश्चिम में संजीव बनाम पीसी शर्मा के बीच जारी है द्धंद

उत्तर विधानसभा में अस्वस्थ्य होने के कारण पूर्व मंत्री आरिफ अकील इस बार चुनाव लडऩे के इच्छुक नहीं है। इस बार वे अपने बेटे आतिफ अकील को टिकट दिए जाने के पक्ष में है। 15 अगस्त पर हर साल होनेवाली रैली में उन्होंने इसकी घोषणा भी की लेकिन इसी बीच उनके छोटे भाई आमिर अकील और उनके बेटे के बीच लगातार विवाद बढ़ते जा रहे है। इसको देखते हुए यहां से एडव्होकेट साजिद अली और नासिर इस्लाम ने भी दावेदारी जताई है लेकिन कांग्रेस पार्टी इस सीट पर आरिफ अकील को ही दोबारा से चुनाव लड़वाना चाहती है।

हुजूर में ज्ञानचंदानी या जितेंद्र डागा

हुजूर सीट पर इस बार रामेश्वर शर्मा के मुकाबले जितेंद्र डागा ने अपनी चुनाव लडऩे की तैयारियां एक माह पहले शुरु कर दी थी वहीं नरेश ज्ञानचंदानी चुनाव हारने के बाद भी इस सीट पर लगातार सक्रिय है। चूंकि सिंधी समाज पूर्व में भाजपा का परंपरागत मतदाता है ऐसे में नरेश के चुनाव लडऩे की संभावनाएं बरकरार है। उधर जितेंद्र के चुनाव लडऩे की स्थिति में ग्रामीण क्षेत्रों में अपनी पकड़ को लगातार मजबूत करते जा रहे है। माना यह जा रहा है कि दोनों को मिलकर ही चुनाव लडऩे पर कांग्रेस का फोकस है। हालांकि कांग्रेस अभी तय नहीं कर पाई है कि यहां से किसे आजमाया जाए। इस स्थिति में इस टिकट पर अभी तक नाम घोषित नहीं किया गया है।

गोविंदपुरा में बेहतर उम्मीदवार की तलाश

गोविंदपुरा विधानसभा एक तरह से भाजपा की परंपरागत सीट रही है। इस सीट पर अभी तक कांग्रेस एक या दो बार ही मुकाबले में दिखी बाकी सभी समय कांग्रेस ने यहां से वॉक ओवर देनेवाले प्रत्याशियों को मैदान में उतारा। पिछली बार गिरीश शर्मा को कांग्रेस ने यहां से मैदान में उतारा लेकिन वे भी लंबे अंतर से चुनाव हार गए। इसके बाद उम्मीद थी कि कांग्रेस के लिए गिरीश मेहनत करेंगे लेकिन वे सिंधिया समर्थक होने की वजह से भाजपा में चले गए। ऐसी स्थिति में कांग्रेस के पास इस सीट पर कोई बड़ा नाम नहीं है। यही वजह है कि यहां से रवींद्र झुमरवाला दिग्विजय सिंह के समर्थक टिकट मांग रहे है जबकि गोविंद गोयल, विभा पटेल भी लंबे मार्जिन से यहां से चुनाव हार चुकी है। ऐसी स्थिति में कांग्रेस यहां से एक मात्र पार्षद जीत सिंह भी टिकट के दावेदार है। अब कांग्रेस तय नहीं कर पाई है कि यहां से किसे मैदान में उतारा जाए।

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