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सफेद झंडा दिखाया तो इजरायली सैनिकों ने अपनों पर ही चला दी गोली, तीन की मौत…

गाजा पट्टी में इजराइली सैनिकों ने गलती से जिन तीन इजराइली बंधकों को गोली मार दी, वे सफेद झंडा दिखा रहे थे और जब उनकी हत्या की गई तब उनके तन पर कमीज नहीं थी। इजराइली सेना के एक अधिकारी ने शनिवार को यह जानकारी दी।

भूलवश हुई इस हत्या पर नाराजगी से इजराइली सरकार पर कतर की मध्यस्थता में हमास के साथ कैदियों की अदला-बदली पर वार्ता फिर शुरू करने का दबाव बढ़ सकता है।

हमास ने और बंधकों की रिहाई के सिलसिले में इजराइल पर गाजा में हवाई और जमीनी अभियान रोकने की शर्त रखी है। यह लड़ाई 11 वें सप्ताह में भी जारी है। इन बंधकों की मौत की कहानी से इजराइली सैनिकों के आचरण पर भी सवाल उठ रहे हैं। 
    
फलस्तीनियों ने कई बार कहा है कि इजराइली सैनिक उन नागरिकों पर गोलियां चला देते हैं जो सुरक्षित स्थान की ओर भागने की कोशिश करते हैं। सैन्य अधिकारी ने पहचान नहीं उजागर करने की शर्त पर संवाददाताओं से कहा कि ऐसी संभावना है कि बंधकों को उनके आतंकवादी अपहर्ताओं ने त्याग दिया हो या वे भाग गये हों।

उन्होंने कहा कि सैनिकों का बर्ताव ‘हमारे नियमों के विरूद्ध है’ और उसकी उच्चतर स्तर पर जांच की जा रही है।

इस बीच लंबे समय तक संचार सेवाएं ठप रहने से टेलीफोन एवं इंटरनेट कनेक्शन टूट जाने के कारण गाजपट्टी में लोगों की परेशानियां काफी बढ़ गयी हैं तथा संयुक्त राष्ट्र की एक एजेंसी का कहना है कि हाल के दिनों में खाने-पीने की समस्या बहुत बढ़ गयी है।  

इंटरनेट सुलभता के काम करने वाले समूह नेटब्लॉक्स के अनुसार गुरुवार को इंटरनेट और टेलीफोन लाइन बंद हो गयीं तथा शनिवार को अब भी ये सेवाएं चालू नहीं हो पायीं।

  समूह ने कहा कि इसके फलस्वरूप सहायता आपूर्ति एवं बचाव प्रयासों में अड़चनें आ रही हैं। गाजा में सत्तारूढ़ चरमपंथी संगठन हमास के खिलाफ इजराइल युद्ध 11वें सप्ताह भी जारी है।  

नेटब्लॉक्स डॉट ओआरजी के निदेशक आल्प टोकर ने कहा कि दो महीने से अधिक समय से जारी इस लड़ाई में ”इंटरनेट सेवाएं अब भी उपलब्ध नहीं है तथा हमारे रिकार्ड के आधार पर यह ऐसी सबसे लंबी घटना है।”

सात अक्टूबर को हमास ने इजराइल पर अप्रत्याशित हमला किया था जिसके बाद इजराइल ने आक्रामक कार्रवाई शुरू की तथा उत्तरी गाजा में भारी तबाबी मचायी।

वहां 23 लाख लोगों में 85 फीसद से अधिक बेघर हो गये हैं। विस्थापित लोगों ने दक्षिण में आश्रयस्थलों में शरण ले रखी है एवं मानवीय संकट बढ़ रहा है।

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