RSS के साथ मिलकर राजनीति, कांग्रेस को बताएगी संविधान भक्षक; BJP ने बदली रणनीति…
भाजपा नेतृत्व लोकसभा चुनाव के नतीजों से उबरते हुए अब एनडीए को मजबूत करने के साथ अपनी संगठनात्मक और चुनावी रणनीति को और बेहतर बनाएगा।
पार्टी जल्दबाजी में बड़े बदलाव किए बगैर विपक्ष पर आक्रामक रुख बरकरार रखेगी और संविधान के मुद्दे पर कांग्रेस एवं अन्य विपक्षी दलों को कठघरे में खड़ा करने का कोई मौका नहीं छोड़ेगी।
भाजपा के संगठन चुनाव की प्रक्रिया जल्द शुरू होगी और चार राज्यों के आगामी विधानसभा चुनाव उसकी भावी रणनीति के केंद्र में रहेंगे।
सूत्रों के अनुसार, तब तक पार्टी केंद्रीय स्तर पर बड़े बदलाव नहीं करेगी। भाजपा को लोकसभा चुनाव में जिन राज्यों में अपेक्षाकृत कम सफलता मिली है, उन पर खास ध्यान दिया जाएगा। आगामी चार राज्यों के विधानसभा चुनाव तक मौजूदा नेतृत्व को ही बरकरार रखा जाएगा।
हालांकि, संगठन चुनाव पूरे होने तक पार्टी संसद सत्र के बाद राष्ट्रीय पदाधिकारियों की बैठक कर सकती है, जिसमें वह आगामी विधानसभा चुनाव को लेकर जरूरी फैसला कर सकती है।
फिलहाल राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक होने की संभावना कम है। हालांकि जिन राज्यों में संगठन में नए अध्यक्ष बनाए जाने हैं, उसे जरूर पूरा किया जाएगा। इनमें बिहार, पश्चिम बंगाल, तेलंगाना जैसे राज्य शामिल हैं।
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ को लेकर भी पार्टी पूरी तरह स्पष्ट है और उसके साथ ही उसकी संगठनात्मक रूप से आगे बढ़ेगी। अगले माह होने वाली संघ की बैठक में पार्टी अध्यक्ष जेपी नड्डा भी हिस्सा लेंगे।
समान नागरिक सहायता को लेकर भाजपा का स्पष्ट मानना है कि उसे आगे बढ़ाया जाएगा। चूंकि राज्यों के द्वारा प्रक्रिया शुरू हो गई है इसलिए इसे उसी तरह से आगे ले जाया जाएगा।
पार्टी जम्मू-कश्मीर के विधानसभा चुनाव में घाटी में अपनी ताकत बढ़ाने के लिए स्थानीय दलों के साथ तालमेल कर सकती है, लेकिन वह चुनाव में अपनी दम पर ही उतरने की तैयारी में है।
कांग्रेस ही संविधान की असली भक्षक
पार्टी के एक वरिष्ठ नेता ने कहा है कि संविधान हत्या दिवस मनाने की एक वजह कांग्रेस द्वारा इस देश को गुमराह किया जाना है।
कांग्रेस पार्टी लोकसभा चुनाव से लगातार संविधान को मुद्दा बनाकर भाजपा पर हमलावर है, जबकि आपातकाल के जरिए उसी ने संविधान की हत्या की थी।
अब पार्टी आक्रामक रूप से इसे लेकर जनता के बीच जाएगी और बताएगी कि कांग्रेस ही संविधान की असली भक्षक है। उसकी कथनी और करनी में कितना अंतर है। उसके साथ खड़े दल इसमें किस तरह भागीदार बन रहे हैं।
एनडीए प्रवक्ताओं की टीम बनेगी
महाराष्ट्र विधान परिषद के चुनाव में जिस तरह एनडीए की मजबूती सामने आई है इसे वह और मजबूत करेगी। साथ ही संसद में एनडीए के बीच बेहतर तालमेल को बढ़ाया जाएगा इसके लिए जल्द एनडीए के प्रवक्ताओं की एक टीम गठित की जाएगी, जिसमें संसद में सरकार में शामिल घटक दलों के सांसदों को प्रवक्ता तैनात किया जाएगा।
यह प्रक्रिया संसद के आगामी बजट सत्र से शुरू हो सकती है।
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