भगवान शिव और माता पार्वती के विवाह का साक्षी है यह हवन कुंड, यहां हर मन्नत होती है पूरी
मथुरा : एक ऐसा हवन कुंड जिसके दर्शन मात्र से ही सभी दु:ख दर्द दूर हो जाते हैं. यह हवन कुंड भगवान शिव और मां पार्वती के विवाह का साक्षी भी है. जो भी भक्त सच्चे मन से इस हवन कुंड में आहुति देता है, उसके सारी मनोकामनाएं पूर्ण हो जाती हैं. जो दुखी इस हवन कुंड के सच्चे मन से दर्शन करता है उसकी सारी इच्छाओं की पूर्ति हो जाती है. वह भगवान शिव की कृपा से धन्य होता है.
हवन कुंड के दर्शन मात्र से हो जाते हैं सारे दु:ख दूर
वृंदावन की एक आश्रम में ऐसा हवन कुंड है, जहां भगवान शिव और मां पार्वती के विवाह के साक्ष्य आज भी मौजूद है.इस हवन कुंड में प्रज्वलित अग्नि को उत्तराखंड के त्रिगुणी नारायण हवन कुंड से लाया गया था. इस हवन कुंड में आहुति और दर्शन मात्र से ही सभी मनोकामनाएं पूर्ण हो जाती हैं. मान्यता यह भी है कि इस हवन कुंड में अगर नेगेटिव एनर्जी लेकर कोई व्यक्ति जाता है, तो शिव जी उसकी उस नेगेटिव एनर्जी को दूर करते हैं. महेश्वर धाम पीठाधीश्वर धर्मेंद्र गिरी महाराज से जब इस हवन कुंड में प्रज्वलित अग्नि के बारे में बात की तो उन्होंने बताया कि उत्तराखंड की त्रिवेणी नारायण हवन कुंड से इस अग्नि को यहां लाया गया है. यह अग्नि भगवान शिव और मां पार्वती के विवाह की साक्षी है. आश्रम में यह अग्नि अखंड ज्योत के रूप में जल रही है. उन्होंने यह भी बताया कि जो भी भक्त यहां आकर हवन कुंड में विधि विधान से हवन यज्ञ करता है. उसकी सारी मनोकामनाएं पूर्ण हो जाती हैं. जो व्यक्ति नेगेटिव एनर्जी का शिकार है या भूत प्रेत का शिकार है, उसके सारे दु:ख दूर हो जाते हैं. जो भी व्यक्ति इस हवन कुंड में आहुति देता है, वह हमेशा के लिए सभी कष्ट और दु:खों से दूर हो जाता है.
2021 से लगातार हवन में प्रज्वलित है त्रिगुणी नारायण अग्नि
धर्मेंद्र गिरी महाराज ने यह भी बताया कि इस हवन कुंड की अग्नि को कोरोना काल के समय से यहां रखा गया है. भगवान विष्णु रूपी या अग्नि है और त्रेता युग में भगवान विष्णु वावन अवतार में प्रकट हुए थे. भगवान शिव और मां पार्वती का विवाह इसी अग्नि के फेरे लेकर संपन्न हुआ था. साधू संतों के आदेशानुसार विशेष हवन कुंड तैयार करके इस अग्नि को उत्तराखंड से लाया गया. 3 मार्च 2021 को माहेश्वर धाम से निकले. त्रिगुनी नारायण पहुंचकर हम लोगों ने विधि विधान से हवन कुंड में अग्नि को प्रज्वलित किया. 6 मार्च 2021 को वृन्दावन पहुंचे. 11 मार्च 2021 को हवन कुंड में अग्नि को प्रज्वलित किया गया.