अपनी सैलरी से भरते थे गरीब परिवार के बच्चों की फीस, डोडा हमले में शहीद हुए राजेश की कहानी…
अपने पिता नर बहादुर थापा की तरह कर्नल भुवनेश थापा ने भी भारतीय सेना में 34 साल तक सेवा की और 2014 में रिटायर हुए।
उनके बेटे बृजेश थापा ने इस परंपरा को टूटने नहीं दिया।
पांच साल बाद सीडीएस की परीक्षा पास कर वह भी सेना में शामिल हो गए। सोमवार को रात करीब 10:30 बजे रिटायर कर्नल भुवनेश थापा को एक फोन कॉल आता है।
उन्होंने उनके बेटा के जम्मू के डोडा में आतंकवादियों के साथ गोलीबारी में शहीद होमे की खबर मिलती है।
थापा परिवार मूल रूप से दार्जिलिंग के लेबोंग के पास बड़ा गिंग का रहने वाला है। बृजेश थापा ने बीटेक की पढ़ाई पूरी करने के बाद संयुक्त रक्षा सेवा परीक्षा पास करने के बाद 2019 में सेना में शामिल हुए।
सिलीगुड़ी में भुवनेश थापा ने कहा: “मुझे गर्व है कि हमारे बेटे ने देश के लिए कुछ किया है। हम उसे जीवन भर याद करेंगे।” उनकी मां नीलिमा थापा ने बताया कि परिवार ने रविवार को अपने बेटे से आखिरी बार बात की थी।
उस समय वह किसी सुदूर मोर्चे पर तैनात थे। वहां केवल पैदल ही पहुंचा जा सकता है। उन्होंने कहा, “बृजेश को जल्द ही घर आना था, लेकिन मोर्चे पर स्थिति ठीक नहीं होने के कारण कुछ भी स्पष्ट नहीं बता पा रहा था।”
कैप्टन थापा के पार्थिव शरीर के बुधवार को बागडोगरा हवाई अड्डे पर पहुंचने की उम्मीद है। उनका अंतिम संस्कार बड़ा गिंग में पूरे सम्मान के साथ किया जाएगा।
गिंग के अलावा, राजस्थान के झुंझुनू के दो गांवों में भी इसी तरह का मातम छाया हुआ है।
अजय सिंह और बिजेंद्र सिंह की शहादत के बाद लोग शोक में डूब गए हैं। भेसवत के रहने वाले अजय के परिवार को मंगलवार सुबह उनकी शहादत की सूचना दी गई।
बुधवार को उनके पार्थिव शरीर को उनके गांव पहुंचाया जाएगा। थापा की तरह अजय के पिता कमल सिंह भी सेना में थे। वह 2015 में रिटायर हुए थे। उनके चाचा कमल नरुका वर्तमान में सिक्किम में 23 राजपूत रेजिमेंट में तैनात हैं।
हर किसी को नहीं मिलता है देश की सेवा का मौका
अजय के छोटे भाई रविंद्र ने कहा: “हमारे परिवार के कई लोग सेना में सेवा दे चुके हैं। हम हमेशा की तरह सुबह उठे, लेकिन अचानक पता चला कि अजय आतंकवादियों के साथ मुठभेड़ में मारा गया। पूरा गांव शोक में है। हर किसी को देश की सेवा करने और देश की सेवा में खुद को बलिदान करने का सौभाग्य नहीं मिलता है।”
झुंझुनू के एक गांव डुमोली कलां की ढांडी में भी बिजेंद्र सिंह की मौत की खबर के बाद शोक की लहर है। बिजेंद्र सिंह 2018 में सेना में भर्ती हुए थे और उनके दो बेटे हैं।
वे आखिरी बार फरवरी में गांव आए थे। उनकी शहादत की खबर सबसे पहले बिजेंद्र के भाई दशरथ सिंह को दी गई। वह खुद भी सेना में हैं और लखनऊ में तैनात हैं।
बिजेंद्र सिंह के पिता रामजी लाल ने कहा: “मेरे दोनों बेटे देश की सेवा के लिए सेना में हैं। मुझे अपने बेटे पर गर्व है, लेकिन मैं सरकार से आतंकवाद को खत्म करने का आग्रह करता हूं। अपने बेटे को खोना मेरे परिवार के लिए सबसे बड़ी क्षति है।”
चरवाहा परिवार से थे राजेश
सोमवार रात को हुई मुठभेड़ में शहीद हुए चौथे सैनिक डोक्करी राजेश थे, जो आंध्र प्रदेश के श्रीकाकुलम के संथाबोम्मली मंडल के चेतलातंद्रा गांव के रहने वाले थे।
एक ग्रामीण के अनुसार, राजेश चरवाहों के परिवार से हैं। उन्होंने कहा, “राजेश और उनके छोटे भाई को शिक्षा दिलाने के लिए परिवार ने बहुत संघर्ष किया। वह छह साल पहले सेना में भर्ती हुए थे। वह अपने वेतन का एक हिस्सा अपने गांव के गरीब छात्रों की फीस भरने में खर्च करते थे।”
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