छत्तीसगढराज्य

2011 की जनसंख्या के आधार पर दो बार परिसीमन हो चुका, अब फिर क्यों? बिलासपुर निगम परिसीमन को भी चुनौती

बिलासपुर । प्रदेश के चार नगरीय निकायों के परिसीमन पर हाईकोर्ट की रोक के बाद अब बिलासपुर नगर निगम के परिसीमन के खिलाफ भी याचिका दायर कर दी गई है। पूर्व कांग्रेस विधायक शैलेश पांडे और शहर के चारों ब्लॉक कांग्रेस अध्यक्षों की ओर से याचिका दायर की गई है। सुनवाई के लिए याचिका के लिस्ट होने का इंतजार किया जा रहा है। कोंडागांव के परिसीमन को लेकर भी याचिका दायर की गई है।
याचिकाकर्ताओं ने तर्क दिया है कि राज्य सरकार ने अपने सर्कुलर में परिसीमन के लिए अंतिम जनगणना को आधार माना है। राज्य सरकार इसके पहले वर्ष 2014 और 2019 में भी वर्ष 2011 की जनगणना के आधार पर परिसीमन कर चुकी है। जब आधार एक ही है तो इस बार फिर क्यों परिसीमन किया जा रहा है। याचिका में यह भी कहा गया है कि वर्ष 2011 के बाद जनगणना हुई नहीं है। पुरानी जनगणना को आधार मानकर तीसरी बार परिसीमन कराने की जरूरत क्यों क्यों पड़ रही है। याचिका में आरोप लगाया गया है कि राज्य सरकार जनता को परेशान करने के लिए परिसीमन कर रही है। इससे कोई लाभ नहीं होगा।
कोर्ट ने लगाई है 4 निकायों के परिसीमन पर रोक
निकाय चुनावों को लेकर दायर याचिकाओं पर सुनवाई के बाद गुरुवार को हाईकोर्ट ने  राजनांदगांव, कुम्हारी, बेमेतरा और तखतपुर नगरीय निकाय के वार्डों के परिसीमन पर रोक लगा दी है। कोर्ट ने राज्य शासन को नोटिस जारी कर जवाब तलब करते हुए एक सप्ताह बाद अगली सुनवाई तय की है। इसके बाद से ही माना जा रहा है कि बाकी निकायों के परिसीमन पर भी रोक के लिए याचिकाएं दायर होंगी। कांग्रेस लगातार परिसीमन का विरोध कर रही है। इसी संदर्भ में कांग्रेस की ओर से याचिकाएं भी दायर की जा रहीं हैं।
एक ही जनगणना के आधार पर तीसरी बार परिसीमन को बताया जा रहा निरर्थक
याचिकाकर्ताओं की ओर से तर्क दिया जा रहा है कि जब नई जनगणना नहीं हुई है तो 2011 की ही जनसंख्या पर लगातार परिसीमन करने का क्या अर्थ है? एक ही जनसंख्या के आधार पर दो बार परिसीमन के बाद स्थिति में खास परिवर्तन नहीं हुआ है।

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