राज्य

बिहार में लगातार पुर ढहने की घटनाओं पर सुप्रीम कोर्ट सख्त 

बिहार में लगातार पुर ढहने की घटनाओं पर सुप्रीम कोर्ट सख्त हो गया है। सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले से संबंधित जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए बिहार सरकार और एनएचएआई समेत अन्य से जवाब मांगा।

भारत के मुख्य न्यायाधीश (सीजेआई) डी. वाई. चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति जे. बी. पारदीवाला और न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा की पीठ ने जनहित याचिका पर राज्य सरकार और अन्य को नोटिस जारी किया है।

ऑडिट कराने की मांग

बता दें कि जनहित याचिका में मांग की गई थी कि पुलों का संरचनात्मक ऑडिट कराया जाए और ऐसे पुलों की पहचान की जाए जिन्हें और मजबूत करने की या फिर ध्वस्त करने की जरूरत है।

शीर्ष अदालत ने राज्य और भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (एनएचएआई) के अलावा सड़क निर्माण विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव, बिहार राज्य पुल निर्माण निगम लिमिटेड के अध्यक्ष और ग्रामीण कार्य विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव को भी नोटिस जारी किया।

इन जिलों में गिरे पुल

पिछले चार हफ्तों में बिहार के सीवान, सारण, मधुबनी, अररिया, पूर्वी चंपारण और किशनगंज जिलों में पुल ढहने की दस घटनाएं सामने आई हैं। कई लोगों ने दावा किया है कि भारी बारिश के चलते इतने सारे पुल ढह गए।

एक्सपर्ट पैनल की डिमांड

अधिवक्ता ब्रजेश सिंह ने जनहित याचिका में राज्य में पुलों की सुरक्षा और स्थायित्व के बारे में चिंता जताई। उन्होंने अपनी याचिका में एक उच्च-स्तरीय विशेषज्ञ पैनल स्थापित करने के अलावा, केंद्रीय सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय के मापदंडों के अनुसार पुलों की वास्तविक समय पर निगरानी की भी मांग की।

याचिकाकर्ता ने कहा कि यह गंभीर चिंता का विषय है कि बिहार भारत में सबसे अधिक बाढ़ प्रवण राज्य है। राज्य में कुल बाढ़ प्रभावित क्षेत्र 68,800 वर्ग किमी है जो इसके कुल भौगोलिक क्षेत्र का 73.06 प्रतिशत है। उन्होंने कहा कि बिहार में पुल गिरने की ऐसी नियमित घटना अधिक विनाशकारी है, क्योंकि बड़े पैमाने पर लोगों का जीवन खतरे में है।

नीतीश कुमार ने दिया ये निर्देश

उल्लेखनीय है कि पुल ढहने की घटनाओं के मद्देनजर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने पथ निर्माण और ग्रामीण कार्य विभाग को राज्य के सभी पुराने पुलों का सर्वेक्षण करने और तत्काल मरम्मत की आवश्यकता वाले पुलों की पहचान करने का निर्देश दिया है।

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button