विदेश

बांग्लादेश में हिंदुओं की नौकरियों पर नजर, घर-मंदिरों पर हमलों के बाद अब जबरन मांगे जा रहे इस्तीफे…

बांग्लादेश की पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना के वतन छोड़ने के बाद पड़ोसी देश में अल्पसंख्यकों विशेषतौर पर हिंदुओं के खिलाफ जमकर हिंसा हुई। इन हमलों में कई हिंदुओं की जान चली गई।

हालांकि, नोबेल पुरस्कार विजेता मोहम्मद यूनुस के नेतृत्व में बनी अंतरिम सरकार में पिछले हफ्ते हिंदुओं के घरों, पूजा स्थलों पर हमलों में काफी कमी आई है, लेकिन फिर भी छिटपुट हिंसा की घटनाएं सामने आ रही हैं।

इस बीच, अब हिंदुओं की सरकारी नौकरियों पर हिंसा करने वालों की नजर पड़ गई है और लोगों से जबरन इस्तीफा लिया जा रहा है।

इसकी वजह से हिंदू समुदाय चिंतित है। बांग्लादेश में हिंदू अल्पसंख्यक हैं और उनकी आबादी 8 फीसदी है। सुप्रीम कोर्ट के आरक्षण संबंधित फैसले के बाद बांग्लादेश में हिंसा फैल गई थी और कम से कम 650 लोगों की जान चली गई थी।

शेख हसीना को प्रधानमंत्री पद से इस्तीफा देकर भारत आना पड़ा था।

सत्ता के अभाव के बीच 5 अगस्त को बांग्लादेश के कई हिस्सों में हिंदुओं के घरों, पूजा स्थलों और व्यवसायों पर हमला किया गया।

ढाका के धामराई, नटोरे, पटुआखली के कालापारा, शरीयतपुर और फरीदपुर में हिंदू मंदिरों पर हमला किया गया और तोड़फोड़ की गई, जबकि जेसोर, नोआखली, मेहरपुर, चांदपुर और खुलना में घरों पर हमला किया गया।

दिनाजपुर में हिंदुओं के स्वामित्व वाली करीब 40 दुकानों में तोड़फोड़ की गई। नोबेल पुरस्कार विजेता मुहम्मद यूनुस के नेतृत्व वाली अंतरिम सरकार ने 8 अगस्त को सत्ता संभाली थी।

तीन दिन तक कानून-व्यवस्था की स्थिति पूरी तरह से चरमरा गई थी और लोगों की सुरक्षा के लिए कोई पुलिसकर्मी नहीं था।

पबना जिले के अताइकुला मदपुर अमीना खातून डिग्री कॉलेज के सहायक प्रोफेसर आशीष कुमार सरकार ने कहा, ”उस समय जब कोई सरकार नहीं थी, हम ऐसी स्थिति में थे कि हमें नहीं पता था कि अगर कुछ हुआ तो किसे फोन करें।”

आशीष कुमार ने आगे कहा, “लेकिन अब विभिन्न राजनीतिक दलों ने हमें आश्वासन दिया है, जिसके चलते अब हम कुछ हद तक आश्वस्त हैं।

पुलिस ड्यूटी पर है और सेना के जवान सड़कों पर गश्त कर रहे हैं। हमारे पास कोई बुलाने के लिए है।” आशीष सरकार ने बताया कि हिंदुओं को अब भी कुछ जगहों पर हमलों का सामना करना पड़ रहा है।

उनका मानना ​​है कि कुछ हिंदुओं पर हसीना की अवामी लीग पार्टी से जुड़े होने के कारण हमला किया गया, जबकि घरों और व्यवसायों पर कुछ हमले लूटपाट के उद्देश्य से किए गए।

सरकार ने कहा, “कानून और व्यवस्था की स्थिति में कुछ हद तक सुधार हुआ है, लेकिन हम अपने डर पर पूरी तरह से काबू नहीं पा सके हैं।”

‘चिंताएं पूरी तरह से दूर नहीं, लेकिन सुधार हुआ’ बिजनेसमैन ने कहा, “लेकिन मैं कह सकता हूं कि एक महत्वपूर्ण सुधार हुआ है, भले ही हमारी चिंताएं दूर नहीं हुई हैं। हर साल हिंदू भगवान कृष्ण के जन्म का त्योहार जन्माष्टमी मनाने के लिए जुलूस निकालते हैं।

इस साल यह त्योहार 26 अगस्त को है। अगर लोग सुरक्षित महसूस करते हैं, तो लोग जश्न मनाने वाले जुलूसों में शामिल होंगे। पुलिस को ऐसा माहौल बनाना होगा जिससे लोग सुरक्षित महसूस करें।”

अल्पसंख्यक समुदाय के नेताओं ने भी कहा कि हिंदुओं पर हमलों की रिपोर्ट में कमी आने के बावजूद वे चिंतित हैं।

जबरदस्ती मांगे जा रहे इस्तीफे

बांग्लादेश हिंदू बौद्ध ईसाई ओइक्या परिषद के महासचिव राणा दासगुप्ता कहते हैं, “हम अच्छी स्थिति में नहीं हैं और हमारी चिंताएं अभी खत्म नहीं हुई हैं।”

उन्होंने आरोप लगाया कि अल्पसंख्यकों के सदस्यों को सरकारी कार्यालयों और कॉलेजों तथा स्थानीय सरकारी संस्थाओं के सदस्यों से इस्तीफा देने के लिए मजबूर किया जा रहा है।

दासगुप्ता ने कहा, “जबरन इस्तीफा देने की प्रक्रिया शनिवार को शुरू हुई और कुछ स्थानों पर स्कूलों, विश्वविद्यालयों और नगर निगमों में अब भी जारी है।”

उन्होंने कहा कि शनिवार को दोपहर 12 बजे से 3.20 बजे के बीच उन्हें ऐसे जबरन इस्तीफों के बारे में पांच फोन कॉल आए। हालांकि, उन्होंने ज्यादा जानकारी देने से इनकार कर दिया।

उधर, ईसाई और बौद्ध अल्पसंख्यकों के सदस्यों ने कहा कि वे बहुत चिंतित नहीं हैं। ड्रामा डायरेक्टर जोयंता रोजारियो ने कहा कि दिनाजपुर के बिराल इलाके, राजशाही के तनोर इलाके और नारायणगंज में ईसाइयों के घरों में तोड़फोड़ की गई।

रोजारियो ने कहा, “हालांकि बांग्लादेश राजनीतिक अस्थिरता से गुजर रहा है, लेकिन मुझे नहीं लगता कि मुझे फिलहाल इसके बारे में चिंतित होना चाहिए।”

The post बांग्लादेश में हिंदुओं की नौकरियों पर नजर, घर-मंदिरों पर हमलों के बाद अब जबरन मांगे जा रहे इस्तीफे… appeared first on .

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button