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ओम पर्वत पर बर्फ से बनी ऊं की आकृति गायब……चिंतित पर्यावरण विशेषज्ञ

अल्मोड़ा । अपनी खास बनावट के लिए जाने वाले ओम पर्वत पर बर्फ से बनी ऊं की आकृति हट गई है। जानकारों के अनुसार इसका हटना वैश्विक और स्थानीय पर्यावण के संकट को दर्शा रहा है। अगस्त के तीसरे हफ्ते में यह बर्फ गायब हुई थी।
वैज्ञानिकों के अनुसार, इस घटना को जलवायु परिवर्तन के असर के तौर पर देखा जा सकता है। ओम पर्वत भारत, चीन और नेपाल की सीमा से लगा हुआ है। यह पर्वत कैलाश मानसरोवर यात्रा का महत्वपूर्ण पड़ाव भी है। चीन सीमा से सटे लिपुलेख तक सड़क बनने के बाद यहां आने वाले पर्यटकों की संख्या भी बढ़ गई। अल्मोड़ा के जीबी पंत इंस्टीट्यूट में सेंटर फॉर एनवायरमेंटल असेसमेंट एंड क्लाइमेट चेंज सेंटर के जेसी कुनियाल के अनुसार, विश्वभर में मौसमी बदलाव देखने को मिल रहे हैं। जलवायु परिवर्तन का असर ओम पर्वत पर दिखाई दिया है। वैश्विक तापमान बढ़ रहा है और ग्लेशियर इससे सबसे अधिक प्रभावित हो रहे हैं। उन्होंने बताया कि जंगलों में आग की घटनाएं और इसका दायरा बढ़ रहा है। जंगल की आग से निकला ब्लैक कार्बन ग्लेशियर पर असर डालता है। ग्लेशियर की अच्छी सेहत के लिए उसके नीचे के बुग्यालों में अच्छी घास होनी चाहिए। अल्पाइन क्षेत्र में वनों की सेहत अच्छी होनी चाहिए। इससे तापमान संतुलित रहता है।
यूएन की रिपोर्ट के अनुसार, हिमालयी क्षेत्र के एक तिहाई ग्लेशियरों पर ग्लोबल वार्मिंग का संकट  है। तापमान बढ़ने से 2000 से ग्लेशियर के पिघलने की दर बढ़ गई है। ग्लेशियर्स से 58 बिलियन टन बर्फ हर साल कम हो रही है। यह फ्रांस और स्पेन में होने वाले पानी की कुल खपत के बराबर है। वहीं द इंटरनेशनल सेंटर फॉर इंटीग्रेडेट माउंटेन डिवेलपमेंट के अनुसार तापमान बढ़ने की दर हिंदुकुश हिमालयी क्षेत्र में वैश्विक दर से काफी अधिक है।
रिपोर्ट के अनुसार बीते साल मॉनसून के बाद अक्टूबर, नवंबर और दिसंबर में उत्तराखंड में तापमान में बदलाव दो डिग्री से अधिक रहा। साथ ही सर्दियों के बाद बारिश भी बेहद कम हुई। इस साल उत्तराखंड के मैदानी और पर्वतीय क्षेत्रों में भीषण गर्मी पड़ी। देहरादून का तापमान 44 डिग्री तक पहुंच गया। ग्लेशियोलॉजिस्ट डॉ अनिल देशमुख्य के अनुसार देश के अन्य हिस्सों की तुलना में हिमालय में तापमान अधिक तेजी से बढ़ रहा है। जैसे-जैसे ऊंचाई बढ़ती है, तापमान भी बढ़ता जाता है। इसलिए मौसमी बर्फ अब गर्मियों के साथ सर्दियों और वसंत ऋतु में भी तेजी से पिघल रही है। ओम पर्वत पर बर्फ का गायब होना इका प्रमाण है।

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