राजनीतिक

जम्मू कश्मीर चुनाव: भाजपा ने बदली रणनीति, गठबंधन के तलाश रही रास्ते

जम्मू। बीते दो दशक बाद जम्मू कश्मीर में विधानसभा चुनाव हो रहे हैं। यहां भारतीय जनता पार्टी अपनी ताकत के साथ चुनाव लड़ रही है। उसे भरोसा है कि उसकी सरकार बनेगी। हालांकि अभी तक भगवा पार्टी एक ही बार सरकार बनाने में सफल रही है, वह भी पीडीपी के साथ गठबंधन में। इस चुनाव में भाजपा अपने दम पर किस्मत आजमा रही है। इस बीच नेशनल कॉन्फ्रेंस के नेता उमर अब्दुल्ला ने दावा किया है कि भाजपा जम्मू-कश्मीर विधानसभा चुनाव के लिए पीपुल्स कॉन्फ्रेंस और अपनी पार्टी जैसी पार्टियों के साथ चुनाव बाद गठबंधन कर सकती है। बता दें कि भाजपा के अपने घोषणापत्र में 25 वादे हैं। मुख्य रूप से महिलाओं और युवाओं के सशक्तिकरण, कश्मीरी पंडितों की वापसी, मंदिरों के जीर्णोद्धार और आतंकवाद का सफाया करने पर ध्यान केंद्रित किया गया है। आपको जम्मू-कश्मीर विधानसभा चुनाव 18, 25 सितंबर और 1 अक्टूबर को तीन चरणों में होने हैं।
उमर अब्दुल्ला ने गंदेरबल के शालबुग में पार्टी कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए कहा कि भाजपा सरकार बनाने के लिए अन्य पार्टियों के साथ-साथ निर्दलीय उम्मीदवारों के साथ गठबंधन करने को तैयार है। उन्होंने कहा, गृह मंत्री अमित शाह उन पार्टियों के नाम ले रहे थे जिनके साथ वे सरकार नहीं बनाएंगे। उन्होंने इंजीनियर रशीद की पार्टी, अपनी पार्टी, पीपुल्स कॉन्फ्रेंस समेत कई पार्टियों का नाम नहीं लिया। इसका मतलब है कि कल अगर भाजपा चाहेगी तो उनके साथ सरकार बना सकती है। रिपोर्ट के अनुसार, दो सीटों से निर्दलीय उम्मीदवारों के खिलाफ चुनाव लड़ रहे उमर अब्दुल्ला ने कहा कि भाजपा स्वतंत्र रूप से चुनाव लड़ने वालों के साथ भी गठबंधन कर सकती है।कांग्रेस और एनसी पर निशाना साधते हुए अमित शाह ने कहा था कि दोनों पार्टियां पुरानी व्यवस्था को वापस लाना चाहती हैं और पाकिस्तान के साथ बातचीत शुरू करना चाहती हैं। हालांकि, अमित शाह ने कहा कि जब तक शांति स्थापित नहीं हो जाती तब तक पाकिस्तान के साथ कोई बातचीत नहीं हो सकती। उन्होंने यह भी कहा कि दोनों दलों के घोषणापत्रों का उद्देश्य आतंकवाद फैलाना, गुज्जरों, बकरवाल, पहाड़ी और दलितों से आरक्षण छीनना, अपराधियों को रिहा करना और पाकिस्तान के साथ एलओसी व्यापार शुरू करना है।

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