मध्यप्रदेशराज्य

व्यापमं घोटाला: सुप्रीम कोर्ट ने मप्र शासन व सीबाआई से मांगा जवाब

 भोपाल । प्रदेश के बहु चर्चित व्यावसायिक परीक्षा मंडल घोटाला (व्यापमं) को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने मप्र शासन और सीबीआई को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है। व्यापमं घोटाला वर्ष 2009 में सामने आने के बाद पूर्व विधायक और कांग्रेस नेता पारस सकलेचा ने एसटीएफ को दस्तावेज के साथ आवेदन सौंपकर कुछ बिंदुओं पर जांच की मांग की थी। इस पर कोई कार्रवाई नहीं हुई तो आवेदन पर जांच के लिए उन्होंने पिछले साल हाई कोर्ट की इंदौर खंडपीठ में याचिका दायर की, इसमें एसटीएफ को दिए गए आवेदन पर कार्यवाही की मांग की थी। 19 अप्रैल को हाई कोर्ट ने याचिका निरस्त कर दी तो सकलेचा ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका लगाई थी। कोर्ट में मामले की पैरवी राज्यसभा सदस्य विवेक तन्खा तथा सर्वम ऋतम खरे ने की। एसटीएफ ने 27 नवंबर 2014 को विज्ञप्ति जारी कर व्यापमं की जांच में बिंदु शामिल करने के लिए दस्तावेज सहित आवेदन मांगे थे। सकलेचा ने 11 दिसंबर 2014 को दस्तावेज सहित 350 पेज का आवेदन दिया था। एसटीएफ को 12 जून 2015 को मौखिक साक्ष्य के अतिरिक्त 71 पेज का लिखित बयान और 240 पेज के दस्तावेज भी दिए। 11 से 13 सितंबर 2019 को जांच एजेंसी ने दोबारा 13 घंटे तक बयान लेने के बाद भी कोई कार्रवाई नहीं की। उसके बाद मामला सीबीआई को चला गया। सीबीआई ने अक्टूबर 2016 में बयान लेने के बाद आवेदन को मुख्य सचिव को भेजा पर आज तक कोई कार्रवाई नहीं की गई। सकलेचा ने अपने आवेदन में तत्कालीन मुख्यमंत्री, मुख्य सचिव, पुलिस महानिदेशक, प्रमुख सचिव चिकित्सा शिक्षा, संचालक चिकित्सा शिक्षा, व्यापमं के अध्यक्ष आदि से पूछताछ की मांग की थी। दिसंबर 2009 में शासकीय तथा निजी चिकित्सा महाविद्यालय में भर्ती की जांच के आदेश के बाद भी निजी कालेजों की भर्ती की जांच नहीं करने का भी अपने आवेदन मे उल्लेख किया था। सकलेचा ने अपने आवेदन में कई दस्तावेज का हवाला देकर कहा कि सीबीआई व एसटीएफ ने जांच में काफी लीपापोती की है। महत्वपूर्ण दस्तावेजों को जांच में शामिल न कर बड़े लोगों को बचाने का काम किया है। उन्होंने अपने लगभग 850 पृष्ठ के दस्तावेजी साक्ष्य की विवेचना कर कार्रवाई का अनुरोध न्यायालय से किया है। बता दें कि तत्कालीन व्यापमं में हुए पीएमटी फर्जीवाड़े का मामला एक बार फिर सुप्रीम कोर्ट पहुंचा है। पूर्व विधायक और कांग्रेस नेता पारस सकलेचा ने 2 माह पहले सुप्रीम कोर्ट में याचिका लगाकर कुछ बिंदुओं पर फिर से जांच की मांग की है। 

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