छत्तीसगढराज्य

छत्तीसगढ़-बिलासपुर में हाइवा-ट्रैक्टर-पोकलेन मशीन समेत 10 वाहन राजसात, अवैध रेत उत्खनन पर बड़ी कार्रवाई

बिलासपुर.

बिलासपुर वन विभाग ने अवैध रेत उत्खनन और परिवहन पर एक बड़ी कार्रवाई करते हुए रतनपुर वन परिक्षेत्र के अंतर्गत अनेक वाहनों को जप्त किया है। इस कार्रवाई का नेतृत्व वन मंडलाधिकारी सत्यदेव शर्मा के मार्गदर्शन में और उपवनमंडलाधिकारी अभिनव कुमार (IFS) के निर्देशानुसार किया गया। यह घटना 1 अक्टूबर 2024 की रात 12:10 बजे से सुबह 5:30 बजे तक चली, जिसमें वन विभाग ने कई अवैध रूप से रेत उत्खनन और परिवहन कर रहे वाहनों को पकड़ा।

वन विभाग ने भारतीय वन अधिनियम 1927 की धारा 33(ख) और धारा 52 के तहत इन वाहनों को जप्त किया। जप्त किए गए वाहनों में 10 चक्का वाले 2 हाइवा, 12 चक्का वाले 4 हाइवा, एक पोकलेन मशीन, 2 ट्रैक्टर और 1 मोटर साइकिल शामिल हैं। इन सभी वाहनों को रतनपुर परिक्षेत्र में लाकर रखा गया है और धारा 52 के अंतर्गत इन्हें राजसात करने की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है। इस कार्रवाई में शामिल टीम ने रातभर अवैध रेत उत्खनन को रोकने के लिए निरंतर प्रयास किया। रतनपुर वन परिक्षेत्र अधिकारी देव सिंह ठाकुर के नेतृत्व में इस अभियान को अंजाम दिया गया, जिसमें परिक्षेत्र सहायक बानाबेल मोहम्मद शमीम, पुडु क्षेत्र सहायक प्रताप सिंह क्षत्रिय, रतनपुर क्षेत्र सहायक लाठीराम धुव, बेलतरा सहायक वेदप्रकाश शर्मा, और अन्य वनकर्मी जैसे हेमंत उदय, दीपक कोसले, संदीप जगत, मुलेश जोशी, जितेंद्र सोनवानी, हित कुमार धु, मनोज पैकरा, धीरज दुबे, पन्नालाल जांगड़े, आकाश श्रीवास्तव, मानस दुबे ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। यह कार्यवाही बिलासपुर वनवृत के मुखिया प्रभात मिश्रा के नेतृत्व में वनों के संरक्षण और संवर्धन के संकल्प को आगे बढ़ाते हुए की गई। यह अभियान वन विभाग की अवैध गतिविधियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करने की प्रतिबद्धता को दर्शाता है।

अवैध रेत उत्खनन पर्यावरण के लिए हानिकारक होता है और वन्यजीवों के प्राकृतिक आवास को भी नुकसान पहुंचाता है। इस प्रकार की अवैध गतिविधियां न केवल पारिस्थितिकी को प्रभावित करती हैं, बल्कि सरकार के राजस्व को भी नुकसान पहुंचाती हैं। वन विभाग की यह कार्यवाही दर्शाती है कि विभाग इस तरह की अवैध गतिविधियों के खिलाफ सख्त है और भविष्य में भी ऐसे अभियानों को अंजाम देने के लिए तत्पर है। वन विभाग की इस तत्परता और उनके कारगर कदम से यह स्पष्ट होता है कि अवैध उत्खनन और अन्य अवैध गतिविधियों के खिलाफ विभाग किसी भी प्रकार की लापरवाही नहीं बरतेगा।

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