छत्तीसगढराज्य

जनजातियों का ज्ञान और परंपराएं दूसरे समाजों के लिए भी अनुकरणीय : टेकाम

रायपुर

जनजातियों के गौरवशाली इतिहास, सामाजिक और आध्यात्मिक योगदान को अधिक से अधिक लोगों तक पहुंचाने और जनजातीय महानायकों के बलिदान को आमजनों को बताने के लिए एक दिवसीय कार्यशाला पं. रविशंकर शुक्ल विश्वविद्यालय के सभाग्रह में संपन्न हुई। इस कार्यशाला में पूर्व आईएएस अधिकारी और वर्तमान केशकाल विधायक श्री नीलकंठ टेकाम ने जनजातियों के ज्ञान और परंपराओं को दूसरे समाजों के लिए भी अनुकरणीय बताया। कार्यशाला को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि जनतीय समाज में सहभागिता, प्रकृति प्रेम के साथ आत्म स्वाभिमान से जीने की कला को दूसरे समाज के लोंगो को भी सीखना चाहिए। श्री टेकाम ने इस दौरान जनजातीय समाज को भारत के संविधान को मिली सहूलियतों और संरक्षण के साथ विकास के लिए किए गए प्रावधानों को भी लोंगो को बताया। इस दौरान वीरांगना रानी दुर्गावती की 500वीं जयंती भी मनाई गई और रानी दुर्गावती के अपने गोंडवाना प्रदेश की स्वतंत्रता की रक्षा के लिए बलिदान हो जाने के वृत्तांत पर भी प्रकाश डाला गया है। कार्यशाला में पं. रविशंकर शुक्ल विश्वविद्यालय के दो सौ से अधिक छात्र-छात्राओं एवं नागरिक शामिल हुए।

कार्यशाला में जनजातीय समाज के महानायकों के बलिदान को भी इंगित किया गया। वक्ता श्री वैभव सुरंगे ने भारत में जनजातीय समाज और स्वतंत्रता संग्राम में उनके योगदान पर विस्तृत जानकारी दी। भारत के प्रथम शहीद तिलका मांझी, वीर नारायण सिंह,गेंदसिंह, गुण्डाधुर आदि से लेकर विभिन्न क्षेत्रों के जनजातीय समाजों द्वारा ब्रिटिश शासन के विरूद्ध हुए संघर्ष को विस्तार से बताया है। कार्यशाला में पं रविशंकर शुक्ल विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर श्री सच्चिदानंद शुक्ला ने जनजातीय समाज की परंपराओं, उनके रीतिरिवाजों और संस्कृति पर अपने नजरिए से रिसर्च किए जाने पर जोर दिया। उन्होंने जनजातीय समाज पर होने वाले शोधों से आधुनिक विकास के क्रम का ज्ञान होने की भी बात कही।

उल्लेखनीय है कि मुख्यमंत्री श्री विष्णु देव साय ने जनजातीय अस्मिता और गौरवशाली अतीत को वैश्विक पहचान देने के लिए 15 नवंबर को भगवान बिरसामुंंडा की 150वीं जयंती पर सभी जिलों में जनजातीय गौरव दिवस मनाने की घोषणा की है। इसी तारतम्य में विश्वविद्यालय के संबद्ध सभी महाविद्यालयों में जनजातीय सभ्यता, संस्कृति, इतिहास, अस्मिता और जनजातीय महानायकों से संबंधित कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे। कार्यशाला में वनवासी विकास समिति के प्रांत अध्यक्ष श्री उमेश कच्छप, कुलसचिव डॉ शैलेन्द्र कुमार पटेल, और समन्वयक डॉ बंसो नुरूटी भी मौजूद रहे।

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button