VIP Tree:मध्यप्रदेश के इस पेड़ को मिलती है जेड प्लस कैटेगिरी की सुरक्षा, जानें इसके पीछे का राज
VIP Tree: आपने जेड प्लस सुरक्षा के बारे में तो सुना ही होगा। विभिन्न कार्यों में बेहतरीन काम करके आपना नाम स्थापित करने वाले लोगों को सरकार के द्वारा सुरक्षा दी जा रही हैं। बता दें कि इसमें व्यापारी से लेकर फिल्मी कलाकार तक शामिल हैं। वहीं दूसरी ऐसे लोग है जिनकों सवैंधानिक पदों का जिम्मा मिला हुआ है उनको भी भारत सरकार की ओर से सुरक्षा दी जा रही हैं। भारत में एक ऐसा पेड़ है जिसको सरकार की तरफ से जेड कैटेगिरी की सुरक्षा दी जा रही है। शायद आप इस बारें नहीं जानते होंगे तो आइए हम आपको बताते है। भारत में कहां देखने को मिलता है ऐसा वीवीआईपी पेड़।
कई बार हुआ है नष्ट करने का प्रयास-
हम जिस मूल बोधि वृक्ष की बात कर रहे हैं, वह बिहार के गया जिले में है। इस पेड़ को न जाने कितनी बार नष्ट करने का प्रयास किया गया है। लेकिन हर बार नया पेड़ उग आता है। सन 1857 में प्राकृतिक अपदा के कारण यह पेड़ पूरी तरह से नष्ट हो गया था। फिर 1880 में अंग्रेज अफसर लॉर्ड कनिंघम ने श्रीलंका के अनुराधापुरम से बोधि वृक्ष की टहनी मंगवाई और उसे बोधगया में फिर से लगवाया। तब से वह पवित्र बोधि वृक्ष आज भी वहां मौजूद है।
वीआईपी सेलिब्रिटी की तरह मेडिकल चेकअप
यह पेड़ आपको मध्यप्रदेश में देखने को मिलेगा। यह मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल और विदिशा के बीच सलामतपुर की पहाड़ियों पर लगा है। आपको जानकर हैरत होगी कि यह पेड़ श्रीलंका के तत्कालीन प्रधानमंत्री महिंद्रा राजपक्षे ने साल 2012 में भारत दौरे के दौरान लगाया था। इस पेड़ का मूल्य इसी बात से समझ आता है कि मध्यप्रदेश सरकार इसकी सुरक्षा में हर साल लगभग 12 से 15 लाख रुपए तक खर्च करती है। इतना ही नहीं इस पेड़ का किसी वीआईपी सेलिब्रिटी की तरह मेडिकल चेकअप (Medical Checkup) भी होता रहता है। यह पेड़ 100 एकड़ की पहाड़ी पर लोहे की 15 फीट ऊंची जाली में लहलाता है। जिसे बोधि वृक्ष कहते हैं, जो एक पीपल का पेड़ है।
डीएम की निगरानी में होती है देखभाल-
इस पेड़ की देखभाल डीएम की निगरानी में होती है। पेड़ की सिंचाई के लिए अलग से टैंकर की व्यवस्था की जाती है। पेड़ स्वस्थ रहे, इसका बकायदा ख्याल रखा जाता है। इसके लिए कृषि विभाग के अधिकारी दौरा करने भी आते हैं। पेड़ का अगर एक पत्ता भी सूख जाए, तो प्रशासन टेंशन में आ जाता है। पेड़ के पत्ते सूखने पर प्रशासन चौकन्ना हो जाता है और जल्द ही इसे अच्छा ट्रीटमेंट दिया जाता है।
पेड़ तक पहुंचने के लिए पक्की सड़क-
खास बात तो यह है कि इस पेड़ तक पहुंचने के लिए विदिशा हाईवे से पहाड़ी तक पक्की सड़क बनाई गई है। ताकि देसी हो या विदेशी, पर्यटकों को यहां पहुंचने में दिक्कत न हो।
पेड़ का इतिहास
इस पेड़ का इतिहास काफी पुराना है। बताया जाता है कि यह उसी प्रजाति का वृक्ष है जिसके नीचे बैठकर भगवान बुध्द को ज्ञान की प्राप्ति हुई थी। इतिहास की प्राप्त जानकारी के मुताबिक तीसरी शताब्दी में सम्राट अशोक ने अपने पुत्र महेंद्र और पुत्री संघमित्रा को बौद्ध धर्म के प्रचार-प्रसार के लिए श्रीलंका भेजा था। तब उन्हें एक बोधि वृक्ष की एक टहनी दी थी। जिसे उन्होंने वहां के अनुराधापुरा में लगा दिया था। वो आज भी वहां है।