मध्यप्रदेशराज्य

907 किलो ड्रग्स केस: पांच दिन से फरार आरोपी ने थाने के सामने खुद को मारी गोली

भोपाल में पकड़ाई गई 907 किलो ग्राम एमडी ड्रग्स मामले में गिरफ्तार मुख्य आरोपी के सहयोगी ने मंदसौर में थाने के बाहर अपने पैर में गोली मार ली। गौरतलब है कि गुजरात एटीएस ने पांच दिन पहले मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल से 907 किलोग्राम एमडी ड्रग्स जब्त की थी।

इस मामले में हरीश आंजना नाम के शख्स को गिरफ्तार किया गया था। हरीश ने पुलिस को बताया था कि उसके इस काम में की मदद प्रेमसुख पाटीदार नाम का शख्स उसकी मदद करता था। प्रेमसुख मंदसौर के हथुनिया का रहने वाला है। पुलिस उसकी तलाश कर रही थी, लेकिन हरीश की गिरफ्तारी वाले दिन से ही वह गायब था।

थाने के सामने मारी खुद को गोली

शुक्रवार को वह मंदसौर के अफजलपुर थाने में आत्मसमर्पण के लिए पहुंचा, लेकिन इससे पहले थाने के सामने उसने खुद को गोली मार रखी थी। पुलिस के मुताबिक उसने पूछताछ से बचने के लिए खुद को घायल किया है। फिलहाल, पुलिस ने उसे जिला अस्पताल में भर्ती कराया है। उसके उपचार के बाद पुलिस उससे पूछताछ करेगी।

इससे पहले, नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो (एनसीबी) और गुजरात एटीएस की कार्रवाई में भोपाल में पिछले दिनों एमडी ड्रग्स बनाने का कारखाना पकड़ा गया था। कारखाने से बड़ी मात्रा में एमडी ड्रग्स और अन्य सामग्री भी जब्त की गई थी।

तीन आरोपी गिरफ्तार

मामले में एनसीबी ने अब तक तीन आरोपियों को गिरफ्तार किया है और उनसे पूछताछ की जा रही है। गिरफ्तार आरोपियों में नासिक का सान्याल बाने, भोपाल का अमित चतुर्वेदी और मंदसौर का हरीश आंजना शामिल हैं। पुलिस के मुताबिक कारखाने में एमडी ड्रग्स बनाने के लिए आरोपियों ने पार्ट्स खरीदकर मशीन को 'असेंबल' कराया था।

उन्होंने ऐसा इसलिए किया, ताकि किसी की नजर में न आएं। ये मशीनें आमतौर रासायनिक उर्वरक बनाने के काम आती हैं, लेकिन आरोपी इससे ड्रग्स बनाकर सप्लाई कर रहे थे। मंदसौर के शोएब लाला और हरीश आंजना ने मशीन लाने में पूंजी लगाई थी। जांच एजेंसियों का अनुमान है कि मशीनरी में 40 से 50 लाख रुपये लगे होंगे।

कच्चा माल खरीदने का था लाइसेंस

एमडी ड्रग बनाने में लगने वाले केमिकल और कच्चा माल खरीदने के लिए अमित चतुर्वेदी के पास पहले से लाइसेंस था, इसलिए उसे आसानी से सामग्री मिल जाती थी। यह जानकारी एनसीबी के अधिकारियों द्वारा गिरफ्तार आरोपियों से पूछताछ में सामने आई है। आरोपियों ने उर्वरक बनाने वाली फैक्ट्री को इसलिए किराए पर लिया था, जिससे लोगों का शक न हो।

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