धर्म

गजलक्ष्मी मंदिर का प्रसाद खाने से होती है धन वर्षा, अनोखी है नोटों से सजे इस मंदिर की मान्यता

मध्य प्रदेश का पवित्र शहर उज्जैन देवी-देवताओं की उपासना के लिए जाना जाता है. यहां स्थित गजलक्ष्मी मंदिर में दीप पर्व के समय भक्तों की भारी भीड़ उमड़ती है. गजलक्ष्मी, जोकि देवी लक्ष्मी के आठ रूपों में से एक हैं, की महिमा का यह मंदिर अपनी अद्वितीयता और धार्मिक आस्था के कारण श्रद्धालुओं के लिए आकर्षण का केंद्र है. उज्जैन के सराफा बाजार के मध्य में स्थित यह ऐतिहासिक मंदिर करीब 2,000 वर्ष पुराना माना जाता है, जिसका वर्णन स्कंद पुराण में भी मिलता है.

विशेष दिन पर बरकत का प्रसाद
गजलक्ष्मी मंदिर में बरकत का प्रसाद सिर्फ एक दिन, धनतेरस के अवसर पर बंटता है. यह प्रसाद साल भर में एक बार ही भक्तों को प्राप्त होता है. मंदिर के पुजारी पंडित अवधेश शर्मा बताते हैं कि इस प्रसाद में पीले चावल और कौड़ी होती हैं, जिन्हें भक्त पूरे साल माता के चरणों में अर्पण करते हैं. इसके बाद धनतेरस के दिन यह प्रसाद भक्तों में बांटा जाता है. इस प्रसाद को अपने घर ले जाने से घर में मां लक्ष्मी का वास बना रहता है और धन, सुख-संपत्ति की वृद्धि होती है. दूर-दूर से लोग यहां इस खास प्रसाद को लेने आते हैं, क्योंकि यह माना जाता है कि यह प्रसाद घर में समृद्धि और खुशहाली लाता है.

सुहाग पड़वा पर सिंदूर प्रसाद
धनतेरस से लेकर दिवाली तक गजलक्ष्मी मंदिर में पांच दिवसीय उत्सव मनाया जाता है. आखिरी दिन यानी सुहाग पड़वा पर विशेष प्रकार का सिंदूर प्रसाद भक्तों में बांटा जाता है. यह सिंदूर माता लक्ष्मी का प्रतीक माना जाता है और इसे घर में रखने से वहां मां लक्ष्मी का वास स्थायी रूप से रहता है. वैभव जाटवा, जो पिछले 15 वर्षों से मंदिर के नियमित भक्त हैं, बताते हैं कि इस दिन यहां लंबी कतारें देखी जाती हैं. भक्त मानते हैं कि इस मंदिर में मां गजलक्ष्मी की कृपा से सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं.

नोटों की विशेष सजावट
गजलक्ष्मी मंदिर का एक और विशेष आकर्षण है, यहां का नोटों से किया गया श्रंगार. पिछले तीन वर्षों से इस मंदिर को दीवाली पर विशेष रूप से सजाया जाता है, जिसमें लाखों रुपए के नोटों का इस्तेमाल होता है. इस बार भी मंदिर को 20, 50, 100 और 200 के नोटों से सजाया जा रहा है. अभी तक करीब 2 लाख 51 हजार रुपए के नोटों का श्रंगार किया जा चुका है. दीपावली के समय मंदिर में माता गजलक्ष्मी को सोने के आभूषणों से सजाया जाता है, और इस दौरान 56 भोग अर्पित कर महाआरती की जाती है.

दिवाली के आयोजन और विशेष महाआरती
दीपावली के दिन गजलक्ष्मी मंदिर में विशेष महाआरती और पूजा का आयोजन होता है. इस दिन माता का अभिषेक 2100 लीटर दूध से किया जाता है, जिसे बाद में भक्तों में प्रसाद रूप में वितरित किया जाता है. भक्त इसे अपने घर ले जाकर मिठाई के रूप में ग्रहण करते हैं. दोपहर 12 बजे महाआरती होती है, जिसमें दूर-दूर से भक्त शामिल होते हैं. दीपावली के दिन माता को महारानी रूप में दर्शन देने की मान्यता है, जिसके कारण मंदिर को लाखों के नोटों और सोने के आभूषणों से सजाया जाता है.

धार्मिक आस्था और अनोखी परंपरा
गजलक्ष्मी मंदिर में साल में एक बार बंटने वाले बरकत के प्रसाद की यह परंपरा और दिवाली के आयोजन उज्जैन की धार्मिक परंपरा को दर्शाते हैं. माता गजलक्ष्मी, जिन्हें राजा विक्रमादित्य की राजलक्ष्मी भी कहा जाता है, की आराधना करने से सभी इच्छाएं पूरी होती हैं और भक्तों के जीवन में सुख-समृद्धि का आगमन होता है. इस मंदिर की महिमा और इसकी पवित्रता के कारण यहां देशभर से श्रद्धालु आते हैं. दीपावली के समय विशेष पूजा और सजावट से मंदिर की शोभा में चार चांद लग जाते हैं, और यहां का बरकत प्रसाद लेने से घर में लक्ष्मी का स्थायी निवास होता है.

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