मध्यप्रदेशराज्य

इंदौर के समीप देपालपुर में खेला गया हिंगोट युद्ध, एक-दूसरे पर फेंके जलते हुए तीर

इंदौर ।   इंदौर से 35 किलोमीटर देपालपुर में दिपावली के दूसरे दिन हिंगोट युद्ध खेलने की परंपरा को शुक्रवार को फिर निभाया गया। इस अनूठी परंपरा के हजारों दर्शक साक्षी बने। कलंगी  और तुर्रा नाम की सेनाएं आमने सामने थी और उनके हाथों में थे जलते हुए हिंगोट, जो एक दूसरे पर फेंके गए। इस युद्ध की तैयारी बीते दस दिनों से जारी है। दोनो सेनाएं बारुद भरकर हिंगोट तैयार किए थे, जो शुक्रवार को एक-दूसरे पर बरसाए गए। इस दौरान दोनो टीमों के कुछ योद्धा घायल भी हुए। जलते हुए हिंगोट दर्शक दिर्घा में भी गिरे, लेकिन कोई जनहानि नहीं हुई। शुक्रवार को दोनों सेनाएं खुले मैदान में थी।योद्धा खेल भावना का परिचय देते हुए पहले एक दूसरे के गले मिले फिर आमने सामने होकर हिंगोट युद्ध लड़ने के तैयार हो गए। यह हिंगोट पूरे प्रदेश में प्रसिद्ध है और सैकड़ों वर्षों से खेला जा रहा है।इस युद्ध को देखने के लिए हजारों की संख्या में आसपास के गांवों के लोग शुक्रवार को जुटे।

अंधेरा होते ही युद्ध थम गया

हिंगोट युद्ध गौतमपुरा और रुणजी गांव के ग्रामीण खेलते है। गौतमपुरा की सेना का नाम तुर्रा होता है और रुणजी गांव की सेना कलंगी कहलाती है। जलते हिंगोट से बचने के लिए योद्धा साफा पहनते है। इसके अलावा जलते हुए हिंगोट से बचने के लिए हाथ में ढाल भी रखते है। कुछ नौजवान युवक हेलमेट पहनकर भी युद्ध के मैदान में उतरते है। पीठ पर बंधे तरकश से हिंगोट निकाले जाते है और उसे जलाकर दूसरी सेना की तरफ फेंका जाता है। यह युद्ध शुक्रवार को भी अंधेरा होने तक खेला गया। इसमें न कोई हारा न कोई जीता। अंधेरा होते ही युद्ध को विराम दिया गया और थके मांदे योद्धा एक दूसरे से गले मिलकर अपने-अपने गांवों की तरफ लौटे।

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button