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किसानों को नहीं मिल रही डीएपी, हुती विद्रोहियों के कारण गहराया संकट 

नई दिल्ली। गेहूं और रबी फसलों की बुआई की जा रही है लेकिन देश के किसानों को डाइ-अमोनियम फास्फेट (डीएपी) की कमी का सामना करना पड़ रहा है। हर साल खरीफ और रबी दोनों फसलों के लिए भारत को करीब 90 से 100 लाख टन डीएपी की जरुरत होती है, जिसमें से करीब 40 फीसदी घरेलू उत्पादन से पूरी होती है।

डीएपी की कुल जरुरत करीब 93 लाख टन
इस साल डीएपी की कुल जरुरत करीब 93 लाख टन आंकी गई है, जबकि घरेलू उत्पादन और आयात मिलाकर उपलब्धता करीब 75 लाख टन ही है। इस स्थिति में किसान परेशान हैं, क्योंकि उन्हें समय पर उर्वरक की जरूरत है।

उर्वरकों की कमी नहीं होने दी जाएगी
केंद्र सरकार ने किसानों से कहा है कि उर्वरकों की कमी नहीं होने दी जाएगी। इसके लिए नैनो डीएपी के तरल संस्करण के इस्तेमाल पर भी जोर दिया जा रहा है। रसायन एवं उर्वरक मंत्रालय ने बताया है कि भारत की निर्भरता मुख्य रूप से रूस, जॉर्डन और इजराइल जैसे देशों पर है और वर्तमान में स्थिति को देखते हुए सरकार इस बात को लेकर चिंतित है कि आयात प्रभावित हो सकता है।

फसलों के लिए जरुरी उर्वरक समय पर उपलब्ध कराना चुनौती
लाल सागर में चल रहे संघर्ष और राजनीतिक तनाव के कारण डीएपी की उपलब्धता पर प्रतिकूल असर पड़ सकता है। ऐसे में किसानों को फसलों के लिए जरुरी उर्वरक समय पर उपलब्ध कराना चुनौती बन गई है। इस संकट से निपटने केंद्र ने कदम उठाने का आश्वासन दिया है, लेकिन किसानों की चिंता ज्यादा है। इस तरह की चुनौतियों का सामना करते हुए किसानों की स्थिति को बेहतर बनाने के लिए सरकार को त्वरित और प्रभावी कदम उठाने की जरुरत है, ताकि खाद्य उत्पादन प्रभावित न हो।

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