राजनीतिक

एनसीपी विभाजन का फैसला मेरा नहीं विधायकों के समर्थन से लिया 

अजीत पवार बोले- विधायकों ने शरद पवार को लिखा था पत्र, मांगी भी अनुमति

मुंबई। महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव को लेकर राजनीतिक पारा पूरी तरह चढ़ गया है। राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) के प्रमुख और उपमुख्यमंत्री अजित पवार ने एक बड़ा खुलासा किया है, जिसमें उन्होंने अपने चाचा और वरिष्ठ नेता शरद पवार के साथ संबंधों और एनसीपी में विभाजन पर खुलकर बताया। अजित पवार ने कहा कि उन्होंने चाचा शरद पवार से अलग होने का फैसला खुद नहीं किया, बल्कि यह फैसला विधायकों के समर्थन से लिया गया था। उन्होंने बताया कि सभी विधायकों ने शरद पवार को पत्र लिखकर यह कदम उठाने की इजाजत मांगी थी।
अजित पवार ने कहा कि उनका मुख्य उद्देश्य महायुति (बीजेपी और सहयोगियों दल का गठबंधन) के लिए ज्यादा से ज्यादा सीटें जीतना है और उनकी नजर एनसीपी के अपने गुट की स्थिति मजबूत करने पर है। उन्होंने सीएम बनने की अपनी महत्वाकांक्षा को लेकर कहा कि इस समय इस मुद्दे पर ज्यादा बात करना ठीक नहीं है, क्योंकि इससे गठबंधन में भ्रम की स्थिति पैदा हो सकती है।
एनसीपी का विभाजन के बाद यह पहला विधानसभा चुनाव है, जिसमें शरद पवार और अजित पवार का गुट अलग-अलग चुनावी मोर्चे पर है। 2019 के विधानसभा चुनाव में शरद पवार के नेतृत्व में एनसीपी ने अच्छा प्रदर्शन किया था, लेकिन इस बार अजित पवार अपने गुट को मजबूत करने के लिए मैदान में हैं। उनके नेतृत्व में पिछले लोकसभा चुनाव में एनसीपी केवल एक सीट ही जीत पाई थी, जबकि शरद पवार के गुट ने आठ सीटें जीती थीं।
यह चुनाव इसलिए भी अहम है क्योंकि एनसीपी और शिवसेना में विभाजन के बाद यह पहला चुनाव है, जो महाराष्ट्र की राजनीति में एक बड़ा बदलाव ला सकता है। अजित पवार के इस खुलासे ने महाराष्ट्र की राजनीति में नई चर्चाओं को जन्म दिया है और यह देखना दिलचस्प होगा कि आगामी चुनाव में उनके इस कदम का क्या असर होता है।

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