रक्षक बनी बेटियां, सड़क पर कानून व्यवस्था संभालने से लेकर अपराधियों को धूल चटा रहीं
ग्वालियर । हर साल 26 अगस्त को पूरी दुनिया महिला समानता दिवस मनाती है। महिला समानता दिवस…यह वह दिन है, जो महिलाओं को समाज में समान अधिकार, अवसर की याद दिलाता है। बेटियों को लेकर अब समाज की सोच बदलने लगी है, इसी का असर है- अब बेटियां समाज और देश की रक्षक बन रही हैं। पुलिस में भर्ती होकर सड़क पर कानून व्यवस्था संभालने से लेकर अपराधियों को धूल चटाने और सेना में जाकर देश की रक्षा में भी पुरुषों के कंधे से कंधा मिलाकर डटी हुई हैं। पहली बार ग्वालियर में ऐसा मौका है, जब सबसे ज्यादा महिला पुलिस अफसरों पर शहर की कानून-व्यवस्था संभालने की जिम्मेदारी है। कई इलाके ऐसे हैं, जहां सनसनीखेज अपराध होते हैं, ऐसे इलाकों में भी महिला पुलिस कंधे से कंधा मिलाकर काम कर रही हैं। ग्वालियर में करीब 3500 पुलिसकर्मी हैं। इसमें से महिला पुलिस अधिकारी और महिला पुलिसकर्मियों की संख्या करीब 300 है।
रेंज की डीआइजी से लेकर डीएसपी और महिला टीआइ तक शहर में
ग्वालियर रेंज की डीआइजी कृष्णावेणी देसावतु हैं। ग्वालियर में डीआइजी से लेकर डीएसपी और टीआइ तक महिलाएं हैं। आइपीएस विदिता डागर पनिहार थाने का प्रभार संभाल रही हैं। पनिहार हाइवे का थाना है, यहां से शहर में अपराधियों की एंट्री होती है। यहां आइपीएस विदिता डागर रात में भी फोर्स को लेकर कार्रवाई करने निकल जाती हैं। रात में खुद चेकिंग करती हैं। ग्वालियर में ग्वालियर सर्किल, यूनिवर्सिटी सर्किल, बेहट सर्किल और महिला सेल की जिम्मेदारी महिला पुलिस अधिकारियों पर हैं। ग्वालियर सर्किल डीएसपी शुभा श्रीवास्तव, यूनिवर्सिटी सर्किल हिना खान, महिला सेल डीएसपी किरण अहिरवार संभाल रही हैं। वहीं पड़ाव थाने की जिम्मेदारी टीआइ इला टंडन पर है। हाल ही में टीआइ प्रीति भार्गव भी ग्वालियर आई हैं।
– यह केवल भ्रांति है कि महिलाएं पुरुषों से किसी भी मामले में कम हैं। चाहें आप चांद पर जाने वाली कल्पना चावना की बात करें या ओलंपिक में मेडल जीतने वाली पीवी सिंधु की। हर क्षेत्र में महिलाएं पुरुषों से कदम से कदम मिलाकर काम कर रही हैं। बल्कि आगे चल रही हैं। रही बात पुलिसिंग की तो आज के दौर की पुलिसिंग बदल गई है। नौकरी के लिए अभी भी उच्च स्तर की शारीरिक फिटनेस की आवश्यकता है। हालांकि अब जो अधिक महत्वपूर्ण है- वह नैतिक चरित्र, उत्कृष्ट पारस्परिक समस्या, समाधान और संघर्ष समाधान कौशल। महिलाएं समस्या समाधान के लिए बिलकुल अलग दृष्टिकोण लेकर आती हैं। खासकर जब बात महिला अपराध की हो। महिला पुलिस अधिकारी अपनी कार्यशैली से जनता पर अपनी छाप छोड़ रही हैं।
विदिता डागर, प्रशिक्षु आइपीएस
– महिला पुलिस अधिकारी फील्ड में अपना शत प्रतिशत दे रही हैं। संवेदना और साहस के साथ काम कर रही हैं। किसी भी फरियादी को साथ पूरी संवेदना के साथ सुनती हैं और जरूरत पड़ने पर साहस दिखाने में पीछे नहीं हटती। अपराधियों पर कार्रवाई करती हैं। महिला पुलिस अधिकारी और महिला पुलिसकर्मी खासकर महिला अपराधों में पूरी संवेदना के साथ काम करती हैं। इससे पीड़िता और उसके स्वजन के दिमाग में पुलिस की जो छवि बनी है, वह बदल रही है।
शुभा श्रीवास्तव, सीएसपी, ग्वालियर सर्किल