छत्तीसगढ

छत्तीसगढ़ में रुढ़िवादी नजरिए से बाहर निकलकर आत्मनिर्भर बनती महिलाएं….

सम्यक नाहटा, रायपुर : महिलाओं की प्रगति में हमेशा रुढ़ियां बाधा बनकर खड़ी हुई हैं, मगर जब भी महिलाएं इन बाधाओं के आवरण से बाहर निकली, तो उन्होंने इतिहास रच दिया।

ऐसा ही कुछ हो रहा है छत्तीसगढ़ के धुर नक्सल इलाके में। बस्तर के दंतेवाड़ा में महिलाएं ‘डेनेक्स’ नाम के ब्रांड से कपड़ों का निर्माण कर जहां अपनी अलग पहचान बना रही है वहीं आत्मनिर्भर भी बन रही हैं। छत्तीसगढ़ के बस्तर इलाके का जिक्र ही आंखों के सामने नक्सलवाद की तस्वीर सामने ला देता है,

मगर अब हालात बदल रहे हैं। एक तरफ जहां नक्सली वारदातें कम हो रही हैं, वहीं आमजन की जिंदगी में बदलाव आ रहा है। बड़ा बदलाव उन महिलाओं के जीवन में आया है जो अब रोजगार हासिल कर रही हैं। महिलाओं ने पहले यह कभी नहीं सोचा होगा कि कभी उन्हें रोजगार मिलेगा और अगर उद्योग लगेगा तो उनके हाथ में उसका संचालन होगा।

राज्य की भूपेश बघेल के नेतृत्व वाली सरकार ने इस इलाके में महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने की पहल की। राज्य में हुई पहल के चलते महिला निर्भरता का मतलब सिर्फ कुशल कर्मचारी नहीं,

बल्कि सफल उद्यमी बनाना है। इसी सोच के साथ दंतेवाड़ा नेक्स्ट यानी ‘डेनेक्स’ ब्रांड की शुरूआत की गई। इस रेडीमेड गारमेंट उद्योग में काम करने वाली सहायता समूह की महिलाएं जिन्हें यहां के लोग दीदी कह कर बुलाते हैं, वे ही इस कंपनी का संपूर्ण कार्य प्रबंधन भी संभालती हैं।

बताया गया है कि डेनेक्स फैक्ट्री से अब तक 12 लाख गारमेंट बनाकर विक्रय के लिए भेजे जा चुके हैं। यहां तैयार किए गए रेडीमेड कपड़ों की गुणवत्ता और उनकी डिजाइन ग्राहकों को लुभा रही है।

इसी का नतीजा है कि कई बड़े मल्टीनेशनल स्टोर्स और ऑनलाइन शॉपिंग प्लेटफार्म पर भी इन कपड़ों की बड़ी मांग है। महिलाओं द्वारा तैयार किए गए इन कपड़ों से कंपनी को अब तक करीब 72 करोड़ रुपए की आमदनी हुई है। इस फैक्ट्री के माध्यम से करीब एक हजार महिलाओं को सीधे रोजगार से जोड़ा गया है।

जिला प्रशासन के संरक्षण में स्व सहायता समूहों के माध्यम से संचालित हो रहे इस रेडीमेड गारमेंट उद्योग को इंडस्ट्रियल चेन के रूप में आगे भी विस्तारित करने का लक्ष्य रखा गया है।

मुख्यमंत्री भूपेश बघेल द्वारा 31 जनवरी 2021 को डेनेक्स की पहली यूनिट की शुरूआत गीदम विकासखंड अंतर्गत ग्राम हारम में की गई थी। दंतेवाड़ा जिले में हारम के बाद अब कटेकल्याण, छिंदनार, बारसूर, कारली में डेनेक्स की कुल पांच यूनिट स्थापित की जा चुकी हैं।

डेनेक्स गारमेंट फैक्ट्री ग्रामीण क्षेत्र की महिलाओं के लिए एक वरदान साबित हुई है। इससे इनके उद्यमिता कौशल को बढ़ावा तो मिल ही रहा है साथ ही आजीविका का साधन मिलने से जीवन स्तर में तेजी के साथ सकारात्मक बदलाव आए हैं।

महिलाओं की आत्मनिर्भरता के चलते समाज के रूढ़िवादी और पितृसत्तात्मक नजरिए को डेनेक्स ने बदल कर रख दिया है। एक समय था जब बस्तर के क्षेत्र में औरतें घर की चारदीवारी तक सीमित थीं।

डेनेक्स के जरिए महिलाएं इन बंदिशों को तोड़कर तरक्की के आसमान छू रही हैं और आत्मनिर्भरता की एक नई इबारत लिख रही हैं। दंतेवाड़ा नेक्स्ट (डेनेक्स) की दीदियां आज दूसरी महिलाओं के लिए प्रेरणा बन रही हैं। यह बदलते छत्तीसगढ़ और महिला सशक्तिकरण का अनूठा उदाहरण बन गया है।

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