दंतेवाड़ा: ‘लाल पानी’ से आदिवासी त्रस्त, 12 ग्राम पंचायतों के लोगों ने NMDC के खिलाफ खोला मोर्चा
दंतेवाड़ा से रौनक शिवहरे की रिपोर्ट
Dantewada Tribal Protests- देश के नवरत्न कंपनियों में से एक एनएमडीसी (NMDC) के छत्तीसगढ़ के दंतेवाड़ा (Dantewada) जिले में मौजूद डिपॉजिट नंबर 04 को लेकर आदिवासियों ने मोर्चा खोल दिया है. बचेली (किरंदुल) एनएमडीसी चेक पोस्ट पर सोमवार को हजारों की तादाद में एकजुट होकर ग्रामीणों ने एनएमडीसी प्रबंधन और जिला प्रशासन पर कई आरोप लगाए. क्षेत्र के 12 ग्राम पंचायतों से आए ग्रामीणों कहना है कि वे लाल पानी से त्रस्त हैं. 53 गांवों के ग्रामीणों को अभी तक लाल पानी की समस्याओं से निजात नहीं मिल पाया है. ऐसे में एनएमडीसी और जिला प्रशासन डिपोजिट-4 खोलने की तैयारी में हैं. आदिवासियों के विरोध के बीच एनएमडीसी प्लांट में चल रहे काम पूरी तरह ठप हैं. सूत्रों की माने तो एक ही दिन में कंपनी को करोड़ों का नुकसान हुआ है.
आदिवासियों का मौजूदा विरोध भांसी डिपोजिट-4 को लेकर है. इसे लेकर इससे प्रभावित आस-पास के पंचायतों के आदिवासी बेदह आक्रोशित हैं. कोई सुनवाई नहीं होने का आरोप लगाते हुए आदिवासियो ने बचेली एनएमडीसी चेक पोस्ट पर हल्ला बोला. इस दौरान हजारों ग्रामीण एकत्र होकर एनएमडीसी मुर्दाबाद के नारे लगाते नजर आए. उनका कहना है कि उन्होंने लगातार एनएमडीसी प्रबंधन और जिला प्रशासन को सचेत किया है कि पहले इससे प्रभावित पंचायतों की सुविधाओं पर ध्यान दिया जाए. लाल पानी की वजह से हो रही उनकी समस्याओं का निराकरण किया जाए, इसके बाद ही कोई नया डिपोजिट खोला जाए. आंदोलनरत ग्रामीणों का आरोप है कि इन तमाम मुद्दों को एनएमडीसी और सरकार नजरअंदाज कर आदिवासियों को कुचल रही है. इस आंदोलन का नेतृत्व बैलाडीला क्षेत्र के सभी पंचायत के सरपंच जनपद सदस्य समेत अन्य जनप्रतिनिधि कर रहे हैं.
धरना स्थल पर मौजूद ज्योति मरकाम बताती हैं कि इससे पहले भांसी में भी धरना प्रदर्शन हुआ था और वहां दो तीन दिन के भीतर सुनवाई की बात कही गई थी लेकिन कोई सुनवाई नहीं होने की वजह से उनको बचेली में विरोध प्रदर्शन करने की जरुरत पड़ी. उन्होंने कहा, “कंपनी खुलने से पहाड़ी में मौजूद जड़ी-बुटी, पशु-पक्षी प्रदूषण की वजह से नष्ट हो जाएंगे. वहीं आस-पास के गांवों में भी इसका बुरा असर पड़ेगा. जब तक हमारी सुनवाई नहीं होगी हमारा प्रदर्शन जारी रहेगा.”
भांसी से आईं आरती कर्मा सवालिया लहजा में पूछती हैं, “अगर हम डिपोजिट 4 खोलने की अनुमति दे दें तो वहां क्या हो जाएगा? न बिजली है, न सड़क है. इन लोगों ने कुछ नहीं दिया. हम कहां जाएंगे बोलिए? ये लोग हमारी अगली पीढ़ी को क्या देंगे? हम जान दे देंगे लेकिन जमीन नहीं देंगे.”
डिपॉजिट 4 खुलने से ये पंचायतें होंगी प्रभावित
डिपॉजिट 4 खुलने से भांसी, कमेली, धुरली, झिरका, बसनपुर,गामावड़ा, नेरली, दुगेली कुदेली, मोलसनार, बचेली, उरेपाल, वेच्छापाल जैसी ग्राम पंचायत प्रभावित होंगी. इन पंचायतों के गांव पहले से ही लाल पानी का दंश झेल रहे हैं. लाल पानी का मुआवजा भी किसानों को ठीक तरह नहीं मिल पाता. जबकि ग्रामीणों का आरोप है कि लाल पानी की वजह से फसलें चौपट हो जाती हैं. ऐसे में आंदोलनकारियों का मानना है कि डिपोजिट 4 के खुलने के बाद इन गांवों की स्थिति और खराब हो जाएगी.
इन मांगों पर अड़े आदिवासी
ग्रामीणों की मांग है कि एनडीएमडीसी और जिला प्रशासन डिपॉजिट 4 के लिए जो ग्राम सभा आयोजित की गई थी उसकी निष्पक्ष जांच होनी चाहिए. साथ ही उस ग्राम सभा की कार्रवाई को सार्वजनिक किया जाना चाहिए. बता दें कि 12 सितम्बर को जिला प्रशासन और एनएमडीसी ने भांसी आईटीआई में लोक सुनवाई रखी थी, ग्रामीणों के विरोध के बावजूद इस लोक सुनवाई की कार्यवाही पूरी की गई. इस सुनवाई को ग्रामीण फर्जी बता रहे हैं. आरती कर्मा कहती हैं कि यह ग्राम सभा पूरी तरह फर्जी थी. उन्होंने पूछा, “क्या 5 से 10 लोगों के हस्ताक्षर वाली ग्राम सभा होती है?” ग्रामीणों की मांग है कि लोक सुनवाई में पर्यावरण संरक्षण मंडल बोर्ड के नियमों का पालन नहीं किया गया है.
क्या है ‘लाल पानी’?
दरअसल दंतेवाड़ा और बीजापुर (Dantewada and bijapur) इलाके में एनएमडीसी यानी नेशनल मिनरल डेवलपमेंट कॉरपोरेशन (National Mineral Development Corporation) लौह अयस्क का खनन करती है. वहीं लौह अयस्क की धुलाई का काम भी किया जाता है. धुलाई से निकला पानी गांव के नाले और नदियों मिलता है जिसकी वजह से आस-पास के नदी-नालों के पानी का रंग लाल हो गया है. इस पानी को पीने से न सिर्फ मवेशियों की मौत हो रही है बल्कि इंसान भी इससे प्रभावित हो रहे हैं.
दंतेवाड़ा से रौनक शिवहरे की रिपोर्ट