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सोनिया गांधी तो मुझे PM बना ही नहीं सकतीं; जब प्रणब मुखर्जी ने नेतृत्व के सवाल पर कहा दो टूक…

शर्मिष्ठा मुखर्जी ने साल 2004 में अपने पिता से उनके प्रधानमंत्री बनने की संभावनाओं के बारे में पूछा था तो प्रणब मुखर्जी ने सोनिया गांधी का जिक्र करते हुए कहा कि वह मुझे पीएम बना ही नहीं सकती हैं।

शर्मिष्ठा ने अपनी किताब “इन प्रणब, माई फादर: ए डॉटर रिमेम्बर्स” में सोनिया गांधी के प्रधानमंत्री पद की दौड़ से हटने के फैसले के बाद पूर्व राष्ट्रपति की प्रतिक्रिया का जिक्र किया है।

पूर्व कांग्रेस प्रवक्ता ने अपने पिता के शानदार सियासी जीवन का इस किताब में जिक्र किया है।

उन्होंने यह भी कहा है कि उन्हें प्रधानमंत्री नहीं बनाने के लिए सोनिया गांधी के प्रति उनके मन में कोई विद्वेष नहीं है। मनमोहन सिंह के खिलाफ भी उनके मन में कुछ नहीं है।

अपने पिता की डायरी, उन्हें सुनाई गई व्यक्तिगत कहानियों और अपने खुद के अनुभवों का संकलन कर शर्मिष्ठा मुखर्जी ने अपनी इस किताब में प्रणब दा के राजनीतिक जीवन के नए और अब तक अज्ञात पहलुओं को उजागर किया है।

आपको बता दें कि प्रणब मुखर्जी ने भारत के वित्त मंत्री के रूप में कार्य किया और बाद में विदेश, रक्षा, वित्त और वाणिज्य मंत्री बने। वह भारत के 13वें राष्ट्रपति (2012 से 2017) थे। 31 अगस्त 2020 को 84 वर्ष की आयु में उनका निधन हो गया।

2004 में लोकसभा चुनाव जीतने वाली सबसे बड़ी पार्टी कांग्रेस की अध्यक्ष सोनिया गांधी के प्रधानमंत्री बनने की उम्मीद थी। उन्हें गठबंधन के सहयोगियों का पूरा समर्थन प्राप्त था।

हालांकि, उन्होंने इस पद के लिए अपना दावा छोड़ दिया। उनके इस निर्णय ने उनकी अपनी पार्टी के सहयोगियों और गठबंधन सहयोगियों सहित देश के लोगों को आश्चर्यचकित कर दिया।

“द पीएम इंडिया नेवर हैड” शीर्षक वाले चैप्टर शर्मिष्ठा मुखर्जी लिखती हैं: “प्रधानमंत्री पद की दौड़ से हटने के सोनिया गांधी के फैसले के बाद मीडिया और राजनीतिक क्षेत्रों में तीव्र अटकलें थीं।

इस पद के लिए शीर्ष दावेदारों के रूप में डॉ. मनमोहन सिंह और प्रणब मुखर्जी के नामों पर चर्चा हो रही थी। मुझे कुछ दिनों तक बाबा से मिलने का मौका नहीं मिला, क्योंकि वह बहुत व्यस्त थे।

मैंने उनसे फोन पर बात की। मैंने उनसे उत्साहित होकर पूछा कि क्या वह पीएम बनने जा रहे हैं। उनका दो टूक जवाब था, ‘नहीं, वह मुझे पीएम नहीं बनाएंगी। मनमोहन सिंह पीएम होंगे।”

वह आगे लिखती हैं कि अगर उनके पिता के मन में प्रधानमंत्री नहीं बनाए जाने को लेकर कोई निराशा नहीं थी। इसका अहसास उनकी डायरियों में कहीं नहीं हुआ। उन्होंने एक पत्रकार से कहा कि उन्हें सोनिया गांधी से कोई उम्मीद नहीं है कि वह उन्हें पीएम बनायेंगी।

किताब के मुताबकि, आम तौर पर यह माना जाता है कि प्रणब मुखर्जी के पास 2004 में ही नहीं बल्कि इंदिरा गांधी की हत्या के बाद 1984 में भी पीएम बनने का मौका था। शर्मिष्ठा मुखर्जी का कहना है कि लोग अक्सर उनसे पूछते थे कि क्या उनके पिता वास्तव में पीएम बनने की महत्वाकांक्षा रखते थे। 

शर्मिष्ठा लिखती हैं, “जब यूपीए-1 के दौरान मैंने अपने पिता से पीएम बनने को लेकर सवाल पूछा तो उनकी प्रतिक्रिया जोरदार थी। उन्होंने कहा ‘बेशक, मैं प्रधानमंत्री बनना चाहूंगा। किसी भी योग्य राजनेता की यह महत्वाकांक्षा होती है। लेकिन सिर्फ इसलिए कि मैं यह चाहता हूं इसका मतलब यह नहीं है कि मैं इसे प्राप्त करने जा रहा हूं।” वह लिखती हैं, “प्रणब मुखर्जी की निश्चित रूप से प्रधानमंत्री बनने की इच्छा थी, लेकिन उन्हें इस तथ्य से भी सहमत होना पड़ा कि वह प्रधानमंत्री नहीं बनने जा रहे थे।”

17 मई 2004 को प्रणब मुखर्जी ने अपनी डायरी में लिखा था, “सोनिया गांधी ने प्रधानमंत्री पद की उम्मीदवारी से पीछे हटने का फैसला किया। बीजेपी का दुष्ट अभियान मुझे, मनमोहन, अर्जुन, अहमद पटेल और गुलाम नबी का नाम उछाला। हम स्तब्ध हैं।”

18 मई को उन्होंने लिखा, “सोनिया गांधी अपने फैसले पर कायम हैं। देशव्यापी आंदोलन हो रहे हैं। सहयोगी दल भी हैरान हैं। सीपीपी की बैठक भावनात्मक रूप से सराबोर है। उनसे पुनर्विचार करने की अपील की गई है।”

19 मई को लगभग राहत की सांस लेते हुए उन्होंने लिखा, ‘मुद्दे सुलझ गए। मनमोहन सिंह मनोनीत प्रधानमंत्री बन गए। मनमोहन और सोनिया जी ने राष्ट्रपति से मुलाकात की और राष्ट्रपति ने मनमोहन सिंह को सरकार बनाने का जनादेश देकर प्रसन्न हुए।” 

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