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50 सीटर बालक आश्रम एरमनार में समस्याओं का अंबार

शौचालयों के दरवाजे टूटे, मूलभूत सुविधाओं का अभाव

बीजापुर। आदिमजाति कल्याण विभाग द्वारा संचालित 50 सीटर बालक आश्रम एरमनार में अव्यवस्थाओं का गंभीर मामला सामने आया है। आश्रम में अध्ययनरत छात्रों को न तो मच्छरदानी उपलब्ध कराई गई है और न ही समुचित बिछावन, जिससे बच्चों को असुविधाजनक और असुरक्षित हालात में रहने को मजबूर होना पड़ रहा है।

शौचालय बदहाल, जंगल जाना मजबूरी

आश्रम परिसर के शौचालयों की हालत बेहद खराब बताई जा रही है। कई शौचालयों के दरवाजे टूटे हुए हैं, जिसके चलते छात्रों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। हालात ऐसे हैं कि कई छात्रों को शौच के लिए बाहर जंगल जाना मजबूरी बन गया है। इससे स्वच्छता, सुरक्षा और गोपनीयता जैसे बुनियादी अधिकारों की अनदेखी साफ नजर आती है।

न मच्छरदानी, न पर्याप्त बिस्तर

जानकारी के अनुसार आश्रम में रहने वाले बच्चों को मच्छरों से बचाव के लिए मच्छरदानी नहीं दी गई है और न ही पर्याप्त बिस्तर की व्यवस्था है। बारिश के मौसम में मलेरिया और डेंगू जैसी बीमारियों का खतरा बढ़ जाता है, ऐसे में यह लापरवाही बच्चों के स्वास्थ्य के लिए गंभीर जोखिम मानी जा रही है।

जमीनी हकीकत बनाम विभागीय दावे

आश्रम की वास्तविक स्थिति अधिकारियों के दावों से बिल्कुल अलग बताई जा रही है। निरीक्षण के दौरान व्यवस्थाएं दुरुस्त होने का दावा किया जाता है, लेकिन जमीनी स्तर पर हालात बदतर बने हुए हैं, जो विभागीय निगरानी पर सवाल खड़े करता है।

विभाग का पक्ष…

इस संबंध में आदिमजाति कल्याण विभाग के मंडल संयोजक विष्णु दुर्गम ने बताया कि सभी आश्रम और छात्रावासों में बेडशीट और मच्छरदानी उपलब्ध करा दी गई है। उन्होंने यह भी कहा कि शौचालयों के दरवाजों की मरम्मत का कार्य जारी है।

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