छत्तीसगढ

अब संप्रदायिक भड़काने वाले पर NSA लगाएगी सरकार…….

अब संप्रदायिक भड़काने वाले पर NSA लगाएगी सरकार..

रायपुर :- पुलिस को गिरफ्तार करने का अधिकार…

जमानत भी नहीं मिलेगी…

धार्मिक हिंसा फैलाई तो अब सावधान,ऐसे मामलो में पुलिस को विशेष अधिकार, NSA के तहत होंगी अब एफआईआर, प्रदेश में साम्प्रदायिक हिंसा के मिले इनपुट,गृह विभाग ने सभी कलेक्टरों को किया अधिकृत

बस्तर संभाग के नारायणपुर जिले में साम्प्रदायिक हिंसा के बाद सरकार को पूरे प्रदेश में ऐसी घटनाओं की साजिश के इनपुट मिले हैं.

सरकार राज्य में साम्प्रदायिकता भड़काने वालों पर सरकार राष्ट्रीय सुरक्षा कानून- रासुका लगाने जा रही है.इसके लिए सभी जिला कलेक्टरों को अधिकृत कर दिया गया है.इस कानून के तहत पुलिस ऐसे व्यक्तियों को एक साल तक हिरासत में रख सकती है.इसमें जमानत भी मुश्किल होगी.

गृह विभाग ने पिछले दिनों असाधारण राजपत्र में एक अधिसूचना जारी की.इसके जरिये जिला कलेक्टरों को राष्ट्रीय सुरक्षा कानून-रासुका लगाने के लिए अधिकृत किया गया है.

इस अधिसूचना के मुताबिक राज्य सरकार के पास ऐसी रिपोर्ट है कि कुछ तत्व साम्प्रदायिक मेल-मिलाप को संकट में डालने के लिए, लोक व्यवस्था और राज्य की सुरक्षा पर प्रतिकूल प्रभाव डालने वाला कोई कार्य करने के लिए सक्रिय हैं,

अथवा उनके सक्रिय होने की संभावना है.सरकार को इसका समाधान भी हो गया है.ऐसे में वह सभी 33 जिलों के कलेक्टरों-जिला मजिस्ट्रेट को आदेश दिया गया है कि वह राष्ट्रीय सुरक्षा कानून-रासुका की धारा- तीन-2 से मिले शक्तियों का प्रयोग एक जनवरी से 31 मार्च 2023 तक की अवधि में कर सकते हैं।

इन जिलों के कलेक्टर को जारी हुआ आदेश

जिन जिलों के कलेक्टर को आदेश जारी किया गया है उनमें, रायपुर, बिलासपुर, राजनांदगांव, दुर्ग, रायगढ़, सरगुजा, जशपुर, कोरिया, जांजगीर-चांपा, कोरबा, कबीरधाम, महासमुंद, धमतरी, जगदलपुर,

दंतेवाड़ा, कांकेर, बीजापुर, नारायणपुर, सुकमा, कोंडागांव, बलौदाबाजार, गरियाबंद, बेमेतरा, बालोद, मुंगेली, सूरजपुर, बलरामपुर, मोहला-मानपुर-अंबागढ़ चौकी, खैरागढ़-छुईखदान-गंडई, सारंगढ़-बिलाईगढ़, मनेंद्रगढ़-चिरमिरी-भरतपुर शामिल है

कानून में प्रावधान और सजा

इस कानून के तहत किसी व्यक्ति को तीन माह तक हिरासत में रखा जा सकता है। इस अवधि को तीन-तीन माह कर 12 माह तक बढ़ाया जा सकता है।

संदिग्ध व्यक्ति को हिरासत में रखने के लिए आरोप तय करने की जरूरत नहीं होती है।

गिरफ्तारी के बाद सरकार को बताना पड़ेगा कि किस आरोप में किया गया और जेल में रखने की भी जानकारी देनी होगी।

हिरासत में लिया गया व्यक्ति सिर्फ हाईकोर्ट की एडवाइजरी बार्ड के सामने अपील कर सकता है। इसके लिए उसे वकील भी नहीं मिलता है। जब अपील स्वीकार हो जाती है तो सरकारी वकील कोर्ट को जानकारी देते है

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