देश

घुसपैठिए भारतीय थे, 2001 में दहशत फैल गई थी; दोनों बार मौजूद सांसदों ने बताई आपबीती…

बुधवार को संसद की सुरक्षा में चूक का बड़ा मामला सामने आया।

सेंधमारी की बड़ी घटना उस वक्त सामने आई जब लोकसभा की कार्यवाही के दौरान दर्शक दीर्घा से दो लोग सदन के भीतर कूद गए और ‘केन’ के जरिए पीले रंग का धुआं फैला दिया।

घटना के तत्काल बाद दोनों को पकड़ लिया गया। संसद में हुई बड़ी सुरक्षा चूक ने सुरक्षा प्रोटोकॉल में कमियों को सामने ला दिया है।

लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला द्वारा सुरक्षा चूक के मुद्दे पर बुलाई गई सर्वदलीय बैठक में कई नेताओं ने इस मुद्दे को उठाया। ये घटना संसद पर आतंकी हमले की बरसी के दिन हुई।

जो संसद सदस्य 13 दिसंबर, 2001 को संसद पर हुए आतंकवादी हमले के दौरान और बुधवार की घटना के दौरान मौजूद थे उन्होंने आपबीती सुनाई है।

उन्होंने कहा कि दो घटनाएं बहुत अलग थीं। इनमें बीजू जनता दल (बीजद) कटक सांसद भर्तृहरि महताब भी शामिल थे।

बुधवार को जैसे ही उन्होंने शून्यकाल के दौरान बोलना समाप्त किया वैसे ही सदन में अचानक एक व्यक्ति के दर्शक दीर्घा से एमपी बेंच पर कूदने को लेकर हंगामा शुरू हो गया।

‘हमने सदन के अंदर गोलियों की आवाज सुनी’

द इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, सांसद भर्तृहरि महताब ने कहा कि 2001 में जो हुआ वह एक आतंकी हमला था। उन्होंने कहा, “भारी हथियारों से लैस पाकिस्तानी आतंकवादी संसद परिसर के गेट के अंदर घुस आए और गोलीबारी शुरू कर दी। सुरक्षाकर्मी और वॉच एंड वार्ड कर्मचारी इमारत की सुरक्षा करते हुए शहीद हो गए। इससे पहले कि आतंकी अंदर प्रवेश कर पाते और खून-खराबा कर पाते, (सुरक्षाकर्मी) उन्हें मार गिराने में कामयाब रहे… हमने सदन के अंदर गोलियों की आवाज सुनी।”

ओडिशा के सांसद ने कहा, “आज की चूक एक अलग प्रकृति की था।” उन्होंने कहा, “ये दोनों घुसपैठिए भारतीय हैं। आज सदस्यों ने ही घुसपैठिये को पकड़कर कर्मचारियों के हवाले कर दिया। 2001 में सदन में भगदड़ मच गई थी। हम सभी को सेंट्रल हॉल में ले जाया गया और सबसे पहले हॉल को सुरक्षित किया गया। फिर सुरक्षाकर्मियों ने यह सुनिश्चित करने के लिए संसद की प्रत्येक मंजिल की तलाशी शुरू कर दी कि कोई आतंकवादी तो नहीं है। इसमें करीब पांच घंटे लग गए। शाम करीब पांच बजे ही सांसदों के पहले जत्थे को बाहर निकाला गया।”

‘वे आसानी से दर्शक दीर्घा से कूद गए’

हालांकि, बीजद सांसद ने कहा, भले ही बुधवार की घटना से कोई नुकसान नहीं हुआ हो, लेकिन इस चूक की गहन जांच होनी चाहिए “क्योंकि दोनों व्यक्ति प्रशिक्षित लग रहे थे।”

उन्होंने कहा, “वे आसानी से दर्शक दीर्घा से कूद गए। जहां इस सदन में गैलरी की ऊंचाई पिछले सदन की तुलना में कम है, फिर भी कोई व्यक्ति जो सिर्फ एक कार्यकर्ता या प्रदर्शनकारी है वह इतनी आसानी से कूद और उतर नहीं सकता है।

जिस तरह से घुसपैठिया बेंचों पर कूद रहा था उससे यह भी पता चलता है कि वह अच्छी तरह से प्रशिक्षित था। जूते में छुपे पटाखे का वह पीला धुआं भी प्लानिंग को दर्शाता है।

अगर यह कोई जहरीली गैस या एसिड होता तो क्या होता? यह प्रशिक्षित लोगों द्वारा नियोजित उल्लंघन था और वे सुरक्षा जांच का उल्लंघन करने में सफल रहे।”

बिहार के सारण से भाजपा सांसद राजीव प्रताप रूडी भी बुधवार की तरह 13 दिसंबर 2001 को भी संसद में मौजूद थे। उन्होंने बताया, “उस दिन, मैं संसद में (लालकृष्ण) आडवाणीजी के कमरे में था, जहां एक बैठक चल रही थी।

उस समय आडवाणीजी केंद्रीय गृह मंत्री थे। यहीं पर हमने कुछ आवाजें सुनीं और कमरे के अंदर टीवी पर देखा कि हमला हुआ था।

जो कैमरामैन भाग गए थे, उन्होंने अपने कैमरे चालू छोड़ दिए थे और इन कैमरों ने उन दृश्यों को कैद कर लिया, जो हमने कमरे में देखे थे। हम वहीं रुके थे।” बुधवार के उल्लंघन पर उन्होंने कहा, “वह सशस्त्र आतंकवादियों द्वारा किया गया एक पूर्ण आतंकवादी हमला था, जिन्हें सुरक्षा बलों ने मार डाला और दोनों सदनों में से किसी में भी प्रवेश करने की अनुमति नहीं दी… यह एक विरोध उल्लंघन जैसा लगता है।”

‘गैलरी जैसी सुविधाओं को या तो बंद कर दिया जाना…’

सीएम एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाले शिवसेना गुट में यवतमाल-वाशिम की सांसद भावना गवली भी 2001 में लोकसभा सदस्य थीं।

उन्होंने दोनों घटनाओं को दुर्भाग्यपूर्ण बताया और सुझाव दिया कि आगंतुकों की गैलरी जैसी सुविधाओं को या तो बंद कर दिया जाना चाहिए या ऐसी सुरक्षात्मक परत लगानी चाहिए जैसे एक कांच की दीवार। दिसंबर 2001 में जब आतंकवादियों ने हमला किया तो गवली पहले ही संसद से जा चुकी थीं।

उन्होंने कहा, “छोटी-मोटी चूक में कोई भी शामिल हो सकता है। सुरक्षाकर्मियों ने अपना काम किया। सांसदों ने भी उन्हें पकड़ने की कोशिश की। जब राष्ट्र के खिलाफ कोई खतरा आता है, तो हर कोई काम करता है।” उन्होंने यह भी दावा किया कि जब सुरक्षाकर्मियों ने बुधवार को दो घुसपैठियों को पकड़ा, तो उन्होंने उन्हें ऐसे कृत्यों में शामिल होने के बजाय गांवों में जाने और गरीबों की मदद करने की सलाह दी। मैंने कहा, ‘तुम दोनों ने गलत किया है। गांवों में जाएं, गरीबों की मदद करें, कुछ अच्छा करें क्योंकि आपके कृत्यों से स्थिति में बदलाव नहीं आएगा।”

‘किसी के माथे पर यह नहीं लिखा…’

गवली ने कहा, जहां जनता को संसद का दौरा करने के लिए प्रोत्साहित किया जाना चाहिए, वहीं इस तरह की घटना से मामला बिगड़ सकता है और जान को खतरा हो सकता है। इन खबरों पर कि कर्नाटक के मैसूर से बीजेपी सांसद प्रताप सिम्हा ने दोनों घुसपैठियों को प्रवेश पास की मंजूरी दे दी है, गवली ने कहा, ‘किसी के माथे पर यह नहीं लिखा होता है कि वह आतंकवादी जैसा कुछ करेगा या कोई अन्य गलत काम करेगा।’ 

बुधवार को सदन में करीब एक बजे शून्यकाल के दौरान यह घटना घटी। लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने घटना को गंभीर करार देते हुए कहा कि इसकी उच्च स्तरीय जांच की जा रही है तथा संसद की सुरक्षा की व्यापक समीक्षा की जाएगी।

उन्होंने यह भी कहा कि जो धुआं सदन में फैलाया गया था वह साधारण था और इसको लेकर चिंता वाली कोई बात नहीं है।

बिरला ने लोकसभा में कूदने वाले दोनों व्यक्तियों को रोकने और दबोचने में मुस्तैदी एवं निडरता दिखाने के लिए सांसदों, सुरक्षाकर्मियों एवं कर्मचारियों की सराहना की। सदन में कूदने वाले दोनों व्यक्तियों पहचान सागर शर्मा और मनोरंजन डी. के रूप में हुई है।

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button