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खत्म हुई 17 साल की कहानी, इसरो ने वायुमंडल में गिराया कार्टोसेट-2; मलबा भी नहीं मिलेगा…

सत्रह साल पहले प्रक्षेपित किए गए हाई क्वॉलिटी वाले उपग्रहों की दूसरी पीढ़ी के इसरो के पहले उपग्रह कार्टोसैट-2 को अंतरिक्ष से पृथ्वी के वायुमंडल में सफलतापूर्वक गिरा दिया गया।

अंतरिक्ष एजेंसी के एक अधिकारी ने शुक्रवार यह जानकारी दी। अधिकारी ने कहाकि उपग्रह ने 14 फरवरी को भारतीय समयानुसार अपराह्न 3.48 बजे हिंद महासागर के ऊपर पृथ्वी के वायुमंडल में प्रवेश किया।

उसने बताया कि या तो यह जल गया होगा या इसका बचा हुआ हिस्सा समुद्र में गिर गया होगा, जिसे हम ढूंढ़ नहीं पाएंगे।

इसरो के अनुसार, उपग्रह को 10 जनवरी 2007 को प्रक्षेपित किया गया था। प्रक्षेपण के समय इसका वजन 680 किलोग्राम था और यह 635 किलोमीटर की ऊंचाई पर सूर्य-तुल्यकालिक ध्रुवीय कक्षा में कार्य कर रहा था।

इसने कहाकि शुरुआत में, कार्टोसैट-2 को स्वाभाविक रूप से नीचे आने में लगभग 30 साल लगने की उम्मीद थी। हालांकि, इसरो ने अंतरिक्ष मलबे को कम करने पर अंतरराष्ट्रीय दिशानिर्देशों का पालन करने के लिए बचे हुए ईंधन का उपयोग कर इसकी परिधि को कम करने का विकल्प चुना। 

इसरो ने कहाकि बाह्य अंतरिक्ष के शांतिपूर्ण उपयोग पर संयुक्त राष्ट्र समिति (यूएन-सीओपीओयूएस) और अंतर-एजेंसी अंतरिक्ष मलबा समन्वय समिति (आईएडीसी) जैसे संगठनों की सिफारिशों के बाद, इस कवायद में टकराव के जोखिमों को कम करना और इसका सुरक्षित निपटान सुनिश्चित करना शामिल था।

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