देश

इलाहाबाद हाईकोर्ट में शाही ईदगाह मामले में आज होगी सुनवाई…

मथुरा के श्रीकृष्ण जन्मभूमि- शाही ईदगाह मस्जिद विवाद मामले में आज इलाहाबाद हाईकोर्ट में महत्वपूर्ण सुनवाई है। 

भगवान श्रीकृष्ण विराजमान कटरा केशव देव व सात अन्य की तरफ से दाखिल सिविल वाद की पोषणीयता को लेकर शाही ईदगाह मस्जिद कमेटी व सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड की तरफ से सीपीसी के आर्डर 7 रूल 11 के तहत दाखिल अर्जियों पर इलाहाबाद हाईकोर्ट सुनवाई कर रहा है। 

हिंदू पक्ष द्वारा दाखिल याचिकाओं में दावा किया गया है कि मस्जिद का निर्माण कटरा केशव देव मंदिर की 13.37 एकड़ भूमि पर किया गया है।

जस्टिस मयंक कुमार जैन की सिंगल बेंच मामले की सुनवाई कर रही है।

14 दिसंबर, 2023 को इलाहाबाद हाईकोर्ट ने मथुरा में श्री कृष्ण जन्मभूमि मंदिर से सटे शाही ईदगाह मस्जिद परिसर का अदालत की निगरानी में सर्वे के लिए एडवोकेट कमीशन के गठन की मांग वाली अर्जी स्वीकार कर ली थी।

हाईकोर्ट के इस आदेश को मुस्लिम पक्ष ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी।

सुप्रीम कोर्ट ने मुस्लिम पक्ष की याचिका पर 17 जनवरी को इलाहाबाद हाईकोर्ट द्वारा एडवोकेट कमीशन के गठन वाले आदेश पर रोक लगा दी थी।

लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने यह स्पष्ट कर दिया था कि CPC के आर्डर 7 रूल 11 के तहत मुकदमे की स्थिरता सहित विवाद में इलाहाबाद हाईकोर्ट के समक्ष सुनवाई जारी रहेगी।

सुप्रीम कोर्ट के रोक वाले आदेश के बाद हिंदू पक्ष ने रेवेन्यू सर्वे की मांग वाली अर्जी भी इलाहाबाद हाईकोर्ट में दाखिल की थी।

पिछले साल मई में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने श्री कृष्ण जन्मभूमि-शाही ईदगाह मस्जिद विवाद से संबंधित सभी मामलों को मथुरा कोर्ट से अपने पास ट्रांसफर कर लिया था।

शुक्रवार ( 23 फरवरी) को इस मामले में सुनवाई के बाद न्यायमूर्ति मयंक कुमार जैन ने अगली सुनवाई 29 फरवरी को करने का आदेश दिया था।

शुक्रवार को बहस जारी रखते हुए वीडियो कॉन्फ्रेंस के जरिए पेश हुईं वक्फ बोर्ड की अधिवक्ता तसलीमा अजीज अहमदी ने दलील दी कि 1968 में श्रीकृष्ण जन्म सेवा संघ और शाही ईदगाह मस्जिद कमेटी के बीच एक समझौता हुआ था जिसके तहत जिस जमीन पर मस्जिद खड़ी है, वह जमीन मस्जिद कमेटी को दे दी गई थी।

उन्होंने कहा कि बाद में इस समझौते की पुष्टि एक अदालत ने 1974 में एक आदेश पारित कर की थी।

वकील ने कहा था कि मौजूदा वाद उस समझौते और अदालत के आदेश का उल्लंघन करते हुए दायर किया गया है, इसलिए इस पर सुनवाई नहीं की जा सकती।

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button