छत्तीसगढ

CG में शादी की यादों को संजोने की अनोखी परंपरा : विवाह की स्मृति में वीडियोग्राफी-फोटोग्राफी नहीं, स्मारक या लकड़ी का स्तंभ लगाकर रखते हैं यहां के ग्रामीण…..

घर के बाहर हर पीढ़ी का लगा है स्तंभ

वहीं काकबरस के स्थानीय ग्रामीण दशरथ आंचला बताते हैं कि उनका विवाह पिछले साल मई के महीने में संपन्न हुआ था. इसके बाद उनके घर में बाहर एक स्मारक लगाया गया है,

ताकि उनकी आने वाली पीढ़ी इसे देख सके व अपने रीति रिवाजों को न भूले. दशरथ ने बताया कि ऐसा स्तंभ उनके घर के बाहर हर पीढ़ी का लगा हुआ है, जिसमें उनके पिता, चाचा, दादा व अन्य शामिल हैं और इसे सिर्फ गोंड जाति के आंचला गोत्र के लोग ही ऐसा करते हैं.

स्मारक या स्तंभ लगाने की है परंपरा

सर्व आदिवासी समाज के युवा प्रभाग के अध्यक्ष योगेश नरेटी ने भी बताया कि मृत्यु के बाद मठ बनाने का हो या शादी के बाद यह स्मृति स्तंभ हो. स्मारक या स्तंभ लगाने की परंपरा आदिवासी समुदाय का शुरू से ही रहा है. उन्होंने बताया कि यह स्तंभ दरअसल विवाह के समय मड़वा मंडप में लगाया जाता है,

उसके बीच का भाग होता है, जिसे स्थानीय भाषा में मांडो कहा जाता है, जिसे विवाह संपन्न होने के बाद स्मृति चिन्ह के रूप में घरों के बाहर लगाया जाता है.

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