मध्यप्रदेश

एमबीबीएस और बीडीएस करने वालों से पांच साल का बांड भरवाएगी सरकार

भोपाल। मध्यप्रदेश में सहायता न पाने वाले निजी चिकित्सा महाविद्यालयों एवं दंत चिकित्सा महाविद्यालयों में मुख्यमंत्री मेधावी विद्यार्थी योजना से एमबीबीएस और बीडीएस पाठ्यक्रम में प्रवेश लेने वाले विद्यार्थियों को पाठ्यक्रम पूरा करने के बाद पांच साल तक प्रदेश के सरकारी अस्पतालों में नौकरी करना अनिवार्य होगा। सरकार इसके लिए उनसे पांच साल का बांड भी भरवाएगी।

इसके लिए चिकित्सा शिक्षा विभाग ने नियमों में संशोधन कर दिया है। विद्यार्थियों को पांच सौ रुपए के नॉन ज्यूडिशियल स्टाम्प पर नोटरी से सत्यापित कराने के बाद बाँड भरना होगा। इस बांड में उन्हें यह सहमति देना होगा कि इंटरर्नशिप पूर्ण हॉने के बाद राज्य शासन अंतर्गत सेवा में रह कर निर्दिष्ट स्थान पर एक वर्ष, मुख्यमंत्री मेधावी विद्यार्थी योजना के अंतर्गत लाभान्वित अभ्यथलियों को पांच वर्ष तक निर्दिष्ट स्थान पर कार्य करना होगा। यह न करने पर उन्हें राज्य शासन को दस लाख और मुख्यमंत्री मेघावी विद्यार्थी योजना के अंतर्गत एमबीबीएस में प्रवेश लेने वाले अभ्यर्थियों को 25 लाख तथा अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति तथा अन्य पिछड़ा वर्ग क्रीमीलेयर को छोड़कर शेष को पांच लाख रुपए का भुगतान सरकार को करना होगा।

पाठ्यक्रम पूरा होने तक मूल दस्तावेज प्रवेशित संस्था में जमा रहेंगे और शासन के निर्देश पर ही वापस होंगे। बॉड के प्रावधानों का उल्लंघन होने पर राज्य शासन मध्यप्रदेश मेडिकल कॉसिल में किया गया रजिस्ट्रेशन भी निरस्त कर सकेगी। मध्यप्रदेश में ऐसे सभी निजी चिकित्सा महाविद्यालय और दंत चिकित्सा महाविद्यालय जिन्हें सरकार से कोई सहायता प्राप्त नहीं होती है उनमें एमबीबीएस और बीडीएस पाठ्यक्रमों में प्रवेश के लिए यह बाँड भरवाया जाएगा। इसमें अभ्यर्थी को अपना नाम, पिता का नाम, निवास स्थान का पता निजी मेडिकल कॉलेज का नाम और इन निजी चिकित्सा महाविद्यालयों और दंत चिकित्सा महाविद्यालयों के लिए नियमों को पढऩे के बाद उन पर सहमति देने का बॉंड भी भरना होगा ।

विशेषज्ञों की कमी दूर करने के लिए यह बॉड भरवाया जा रहा

राज्य सरकार निजी मेडिकल कॉलेजों में प्रवेश लेने वाले मेधावी विद्यार्थी योजना के विद्यार्थियों की पूरी फीस भरती है। आरक्षित वर्गों की अध्यययन फीस भी सरकार देती है। लेकिन अक्सर यह पाठयक्रम पूरा करने के बाद जब विद्यार्थी डॉक्टर बन जाते है तो वे निजी प्रैक्टिस शुरु कर देते हैं या शहर के बड़े नर्सिग होग और प्राइवेट अस्पताल में शहर में ही काम करने लगते है, जबकि प्रदेश के ग्रामीण क्षेत्रों के अस्पतालों और जिला अस्पतालों में विशेषज्ञ डॉक्टरों की कमी बनी रहती है। इसे दूर करने के लिए यह बॉड भरवाया जा रहा है ताकि शुरु के वर्षों में डॉक्टर सरकार द्वारा तय स्थानों पर काम कर सके।

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button